न्यूयॉर्क में हुई संयुक्त राष्ट्र की 76वीं महासभा में तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन ने जब शिरकत की थी तो उन्हें उम्मीद थी कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात करेंगे. हालांकि अल जजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाइडेन ने ऐसा करने से मना कर दिया है जिससे एर्दोआन काफी निराश और गुस्से में भी नजर आए. उन्होंने तुर्की के पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बाइडेन से पहले के अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ उन्हें काम करने में दिक्कतें पेश नहीं आती थी लेकिन बाइडेन के आने के बाद चीजें खराब हुई हैं.
इसके अगले ही दिन एर्दोआन ने चौबीस घंटों के अंदर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की एक बार फिर आलोचना की. उन्होंने कहा कि जो बाइडेन के साथ उनकी बातचीत संतोषजनक नहीं कही जा सकती है. एर्दोआन ने अमेरिका पर ये भी आरोप लगाया है कि अमेरिका आतंकी संगठनों से लड़ने के बजाए उनका समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि उत्तरी सीरिया में अमेरिका की पार्टनरशिप पीपल प्रोटेक्शन यूनिट्स के साथ है जो प्रतिबंधित संगठन कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं.
तुर्की का अमेरिका से मोहभंग रूस के लिए फायदा का सौदा साबित हो सकता है. एर्दोआन का कहना है कि तुर्की रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणालियों का दूसरा बैच खरीदने में दिलचस्पी रखता है. तुर्की के अधिकारियों का ये भी कहना है कि वे इन हथियारों के लिए अमेरिका के साथ दुश्मनी भी मोल लेने को तैयार हैं. गौरतलब है कि विदेशी संबंधों पर अमेरिका की सीनेट कमिटी का बयान में चेतावनी दी गई थी कि तुर्की द्वारा किसी भी नई खरीद से काउंटरिंग अमेरिका एडवर्जरी थ्रू सैंक्शन्स एक्ट(CAATSA) के तहत तुर्की पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है.
अमेरिका और तुर्की के खराब संबंधों के बीच पुतिन से एर्दोआन की मुलाकात
तुर्की और अमेरिका की तनातनी के बीच एर्दोआन ने सोची के काला सागर रिसॉर्ट में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की है. माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद रूस और तुर्की के संबंधों में काफी बेहतरी देखने को मिल सकती है. अल जजीरा के साथ बातचीत में यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफॉर्ड के रिसर्चर गैलिप डेलाए ने कहा कि अमेरिका तुर्की द्वारा एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद को केवल हथियार खरीद के तौर पर नहीं देख रहा है बल्कि इसे तुर्की की भू-राजनीतिक पहचान की अभिव्यक्ति के रूप में माना जा रहा है और तुर्की पश्चिम से निकलकर तेजी से रूस और चीन के करीब जा रहा है.
अमेरिकी दृष्टिकोण से देखा जाए तो तुर्की नाटो का एक महत्वपूर्ण सदस्य है और नाटो के जरूरी सैन्य ठिकानों का मेजबान भी है. इसके अलावा तुर्की अमेरिका की वॉर ऑन टेरर में भागीदार है. हालांकि अमेरिका और तुर्की के रिश्तों का सबसे ज्यादा फोकस सिक्योरिटी को लेकर है और राजनीतिक जुड़ाव, ऐतिहासिक संबंधों, इकोनॉमिक या सोशल-कल्चरल स्तर पर अमेरिका और तुर्की के संबंध खास नहीं है.
तुर्की और पाकिस्तान को भाव नहीं दे रहे बाइडेन
बता दें कि कुछ समय पहले पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने भी इसी तरह का बयान दिया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन उनसे मिलने के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं और उन्हें कॉल तक नहीं कर रहे हैं. पाकिस्तान के अलावा अमेरिका तुर्की को भी कई मायनों में इग्नोर कर रहा है. बता दें कि पाकिस्तान और तुर्की के काफी अच्छे दोस्ताना संबंध हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा में एर्दोआन ने कश्मीर मुद्दे को भी छेड़ा था जिसे लेकर पाकिस्तान के पूर्व राजदूत ने तुर्की की तारीफ भी की थी. हालांकि पाकिस्तान और तुर्की दोनों ही देशों को अमेरिका इग्नोर करता हुआ दिखाई दे रहा है.