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नौ सितंबर की वो घटना जिसने ट्रंप ही नहीं, नेतन्याहू पर भी बढ़ा दिया था प्रेशर... गाजा पीस प्लान की इनसाइड स्टोरी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि इजरायल और हमास ने अमेरिका की मध्यस्थता वाली शांति योजना के पहले चरण पर सहमति जताई है. इस समझौते का मकसद गाजा में जंग को रोकना और बंधकों और कैदियों की रिहाई सुनिश्चित करना है.हमास ने गाजा समझौते पर सहमति जताई है.

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ट्रंप ने कैसा कराया इजरायल और हमास का समझौता (Photo: Reuters)
ट्रंप ने कैसा कराया इजरायल और हमास का समझौता (Photo: Reuters)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गाजा पीस प्लान को लेकर इजरायल और हमास दोनों रजामंद हो गए हैं. दोनों ने इस योजना के पहले चरण को लेकर सहमति जता दी है. खुद ट्रंप ने इसका ऐलान किया. लेकिन समझने वाली बात है कि पीस प्लान को लेकर संशय की स्थिति के बीच अचानक दोनों पक्षों में सहमति कैसे बन गई?

मिस्र में कई दिनों से चल रही बातचीत के बाद दोनों पक्षों में यह समझौता हुआ है. कतर, मिस्र और अमेरिका सहित मध्यस्थ देश इजरायल और हमास के बीच मध्यस्थता करा रहे थे क्योंकि दोनो पक्ष प्रत्यक्ष तौर पर बातचीत नहीं कर रहे थे. महीनों की असफल कोशिशों के बाद युद्धविराम पर यह डील अचानक हुई है. 

दरअसल सितंबर की शुरुआत में हुई एक घटना ने इस वार्ता में शामिल पक्षों के डायनैमिक अचानक बदल दिए. नौ सितंबर को इजरायल ने कतर के दोहा में आवासीय इलाके पर बमबारी की, जहां हमास के प्रतिनिधि इस युद्ध को खत्म करने की संभावनाओं पर चर्चा कर रहे थे. हालांकि इस हमले में हमास के वार्ताकार मारे नहीं गए, लेकिन इसे एक उकसावे की तरह देखा गया, जिससे मिडिल ईस्ट और अमेरिका में अधिकारी नाराज हो गए. शुरुआत में ऐसा लगा कि इससे युद्धविराम की किसी भी संभावना को नुकसान पहुंचा है. लेकिन  कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी ने इजराइली सरकार पर शांति के हर अवसर को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाया.

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बता दें कि कतर दरअसल अमेरिका का सहयोगी राष्ट्र है और इजराइली हमले ने ट्रंप को एक कठिन स्थिति में डाल दिया. राष्ट्रपति ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि एक ऐसे संप्रभु राष्ट्र और अमेरिका के करीबी सहयोगी कतर पर एकतरफा बमबारी करना जो शांति लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है और जोखिम ले रहा है. उस पर हमला करने से इजरायल के लक्ष्य सधने वाले नहीं हैं.

इजरायल के इस हमले से ट्रंप और उनके सलाहकारों में गुस्सा था, जिसने उन्हें मध्य पूर्व के अन्य सहयोगियों के साथ असहज स्थिति में डाल दिया. साथ ही इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर दबाव डालने और यह युद्ध खत्म करने के लिए तैयार किए गए फ्रेमवर्क को सपोर्ट करने के लिए तैयार किया.

इसके बाद 29 सितंबर को व्हाइट हाउस में ट्रंप ने नेतन्याहू की मौजूदगी में 20 प्वॉइन्ट प्लान पेश किया, जिसका उद्देश्य इस युद्ध को समाप्त करना था. इस दौरे के दौरान नेतन्याहू ने हमले के लिए कतर के प्रधानमंत्री से माफी भी मागी. इसके बाद ट्रंप ने हमास पर दबाव बनाना शुरू किया. शुक्रवार को उन्होंने हमास को चेतावनी दी कि अगर उसने रविवार शाम तक इस डील के लिए रजामंदी नहीं दाी तो उसके और लड़ाके मारे जाएंगे. इस पर हमास ने हामी भरते हुए कहा कि वह गाजा में बंदी बनाए गए सभी बंधकों को रिहा करेगा, फिर चाहे वह जीवित हो या मृत. लेकिन इससे पहले वह इस प्लान के एलामेंट्स पर बातचीत करना चाहते हैं. उसी शाम ट्रंप ने कहा कि उन्हें लगता है कि हमास स्थाई शांति के लिए तैयार है. इसके बाद शनिवार को नेतन्याहू ने कहा कि वह इस युद्ध को खत्म करने के लिए व्हाइट हाउस के साथ मिलकर काम करेगा.

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इसके बाद सोमवार तक मध्यस्थ और वार्ताकारों ने पहले चरण की योजना के लिए मिस्र में बैठकें करनी शुरू की. ट्रंप ने कहा कि हर कोई शांति चाहता है, यहां तक कि हमास भी. इस बातचीत में मिडिल ईस्ट में अमेरिका के सलाहकार विटकॉफ और ट्रंप के सलाहकार जेयर्ड कुश्नर ने भी हिस्सा लिया.

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