पड़ोसी देशों को हेकड़ी दिखाने वाले चीन ने अब वहां के ट्रेवल ब्लॉगर को सात महीने की सजा सुनाई है. उस ट्रेवल ब्लॉगर पर गलवान घाटी में मारे गए चीनी सैनिकों का अपमान करने का आरोप लगा था. बता दें कि गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों की झड़प हुई थी. शुरुआत में चीन ने उसे हुए नुकसान से इनकार किया था. फिर बाद में यह बात मानी थी कि उसको भी नुकसान हुआ है, फिर मारे गए जवानों की याद में समाधि बनवाई थी.
ट्रेवल ब्लॉगर पर ने चीन के शहीद जवानों के लिए बनी समाधि के पास कुछ तस्वीरें खिंचवाई थीं. ट्रेवल ब्लॉगर पर जवानों के सम्मान को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा है. उत्तर पश्चिमी चीन के झिंजियांग उइगर क्षेत्र के पिशान काउंटी के स्थानीय कोर्ट ने यह सजा सुनाई है. यह भी आदेश दिया गया है कि 10 दिनों के अंदर ट्रेवल ब्लॉगर सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगे.
समाधि की तरफ उंगली कर किया पिस्तौल जैसा इशारा
ब्लॉगर का नाम ली किजिआन ( Li Qixian) है. वह Xiaoxian Jayson नाम से सोशल मीडिया पर एक्टिव है. वह 15 जुलाई को इस समाधि स्थल पर गया था. यह समाधि स्थल काराकोरम पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है. आरोप लगाया गया है कि वह उस पत्थर पर चढ़ गया था, जिसपर समाधि स्थल का नाम लिखा है. इसके अलावा उसपर आरोप है कि मारे गए जवानों की समाधि के पास खड़ा होकर वह स्माइल कर रहा था, साथ ही उसने समाधी की तरफ हाथ से पिस्टल बनाकर इशारा भी किया था.
फोटोज सोशल मीडिया पर आने के बाद ली किजिआन का विरोध शुरू हुआ था. फिर 22 जुलाई को इसकी जांच के आदेश दिए गए थे. अब उसे दोषी मानते हुए सात महीने की सजा सुनाई गई है.
गलवान में शहीद हुए थे भारत के 20 जवान
साल 2020 की बात है. लद्दाख के गलवान क्षेत्र में भारत और चीनी सेना के बीच तनाव था. हालात सुधारने के लिए मीटिंग चल रही थीं. चीन भारत की बातें मानने के बाद भी पीछे नहीं हटा था. बात धीरे-धीरे बिगड़ती गई और फिर दोनों सेनाओं के बीच झड़प हुई. इसमें भारत के कमांडिंग अफसर कर्नल बी संतोष बाबू सहित 20 जवान शहीद हो गए थे.
चीन ने पहले कहा कि उसको इस झड़प में कुछ नुकसान नहीं हुआ. लेकिन बाद में 4 जवानों के मारे जाने की बात मानी. हालांकि, चीन को नुकसान इससे भी ज्यादा हुआ था. रूस की समाचार एजेंसी TASS ने भी कहा था कि गलवान में चीन के लगभग 45 सैनिक मारे गए थे.
माना जाता है कि नुकसान की जानकारी, जवानों का सम्मान उसे अपने नागरिकों के दवाब में आकर करना पड़ा था. वरना इससे पहले तक वह यह जानकारी छिपाना चाहता था. दूसरी तरफ भारत ने हुए नुकसान की जानकारी दी और जवानों के शवों को पूरे सम्मान के साथ उनके परिवारों के पास पहुंचाया था.