बीते साल महज 10 साल की उम्र में आतंकियों के खिलाफ लड़ाई में सेना का साथ देने वाले लड़के को तालिबानी आतंकियों ने मार डाला. आतंकियों ने स्कूल जाते वक्त उसे पकड़ लिया था और सिर में गोली मारी थी.
अफगान सरकार की ओर से 'हीरो' का खिताब पाने वाले 10 साल के वासिल अहमद को आतंकियों ने तिरिन कोट शहर में गोली मार दी. आतंकवादियों से लड़ने के लिए उसने बीते साल सेना का वर्दी पहनी थी और बंदूक भी उठाई थी. तालिबान ने बच्चे के सिर में दो गोलियां मारीं.
एक महीने पहले ही शुरू की थी पढ़ाई
बताया जा रहा है कि वासिल ने करीब एक महीने पहले सैन्य जीवन छोड़कर स्कूल में एडमिशन लिया था. लेकिन आतंकियों ने उसे जीने नहीं दिया. सरकार और आतंकियों के बीच चल रही लड़ाई में वह मारा गया.
राष्ट्रपति के आदेश के खिलाफ सेना में बच्चों की भर्ती
अफगानिस्तान में मानवाधिकार आयोग के प्रवक्ता रफीउल्ला बैदर ने कहा कि राष्ट्रपति अशरफ गनी की ओर से सेना में बच्चों की भर्ती न किए जाने के सख्त आदेश के बाद भी ऐसी रिपोर्ट मिली हैं जिनमें सामने आया है कि बच्चे सेना में भर्ती किए जा रहे हैं. खासकर अफगानिस्तान की स्थानीय पुलिस फौज में बच्चों को भरा जा रहा है.
तालिबान के संपर्क में था परिवार
रफीउल्ला बैदर ने बताया कि वासिल के चाचा मुल्ला अब्दुल समद पहले एक तालिबानी कमांडर थे, जिन्होंने बाद में अपने 36 साथियों के साथ सरकार की मदद करने का फैसला लिया था. इनमें वासिल के पिता भी शामिल थे. सरकार ने बाद में समद को करीब 70 अफगान लोकल पुलिस का कमांडर घोषित कर दिया था.