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अफगानिस्तान में तालिबान राज से खौफ में शिया मुसलमान? उलेमा काउंसिल ने की ये अपील

TOLO न्यूज के मुताबिक, अफगानिस्तान के शिया उलेमा काउंसिल ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस कॉन्फ्रेंस के जरिए शिया धर्मगुरुओं ने तालिबान से मांग की है कि वे सभी प्रकार की आस्था और फिरके (जातियां) वाले लोगों के साथ बराबरी और न्याय करे.

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अफगान शिया काउंसिल के धर्मगुरू (फोटो-@TOLOnews)
अफगान शिया काउंसिल के धर्मगुरू (फोटो-@TOLOnews)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शिया समुदाय ने तालिबान से की इंसाफ की मांग
  • अफगानिस्तान के शिया काउंसिल ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस

अफगानिस्तान पर तालिबान के राज से खौफ की कहानियां सामने आ रही हैं. डर का अंदेशा जताया जा रहा है. कोई महिलाओं के हक को लेकर चिंतित है तो किसी को बोलने की आजादी पर पाबंदी का खतरा है. इस सबके बीच यहां का एक धार्मिक तबका भी है जो मुसलमान होकर भी चिंतित नजर आ रहा है. 

ये तबका है अफगानिस्तान का शिया समुदाय. TOLO न्यूज के मुताबिक, अफगानिस्तान के शिया उलेमा काउंसिल ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस कॉन्फ्रेंस के जरिए शिया धर्मगुरुओं ने तालिबान से मांग की है कि वे सभी प्रकार की आस्था और फिरके (जातियां) वाले लोगों के साथ बराबरी और न्याय करे.

शिया काउंसिल ने तालिबान से महिलाओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का भी आह्वान किया. साथ ही कहा कि शिया समुदाय कभी भी हिंसा और युद्ध का समर्थन नहीं करता है, हम सब शांति चाहते हैं. शिया धर्मगुरुओं की तरफ से अगली सरकार में समाज के सभी तबकों की भागीदारी की मांग भी तालिबान के सामने रखी गई है. 

क्यों करनी पड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस?

अफगानिस्तान में कायम होने जा रहे तालिबान के राज पर शिया काउंसिल की ये प्रेस कॉन्फ्रेंस कई लिहाज से महत्वपूर्ण है. तालिबान के इतिहास को खंगाला जाए तो शिया समुदाय की चिंता जायज नजर आती है. 

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दरअसल, अफगानिस्तान सुन्नी मुसलमानों की बहुल आबादी वाला देश है. तालिबान भी इसी तबके का प्रतिनिधित्व करता है. यहां करीब 10 फीसदी शिया समुदाय है. शिया मुसलमानों का ही एक 'हजारा' समूह भी अफगानिस्तान में रहता है. अफगानिस्तान और पाकिस्तान से हजारा समुदाय पर जुल्म और नरसंहार की खबरें आती रही हैं. 

हजारा समुदाय पर जुल्म का इतिहास

अब जबकि अफगानिस्तान पर तालिबान का राज स्थापित हो रहा है तो इन परिस्थितियों में भी हजारा समुदाय पर हमलों की खबरें आई हैं. हाल ही में एमनेस्टी की एक रिपोर्ट आई जिसमें बताया गया कि पिछले महीने जुलाई की शुरुआत में ही गजनी प्रांत में 9 हजारा समुदाय के पुरुषों की हत्या की गई.

एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले हफ्ते ही एक शिया नेता की प्रतिमा को गिराने का भी मामला सामने आया. तालिबान ने अपने पिछले राज में जिस शिया नेता अब्दुल अली मजारी की हत्या कर दी थी अब मध्य बामियान प्रांत में उनकी प्रतिमा को तोड़ा गया है. अब्दुल अली भी हजारा समुदाय से थे और शियाओं के नेता के तौर पर जाने जाते थे. 

बता दें कि तालिबान हजारा समुदाय को काफिर की श्रेणी में रखता है यानी वो इस समुदाय को मुसलमान नहीं मानता है. तालिबान के लोग सुन्नी मुसलमान हैं. दुनिया के कई इलाकों में सुन्नी और शिया मुसलमानों के बीच टकराव देखने को मिलता है. ऐसे में अफगानिस्तान में तालिबान राज आने पर इस समुदाय की सुरक्षा को लेकर भी बड़ी चिंता है.

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