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सऊदी अरब के इस फैसले से दुनियाभर के मुस्लिमों में खुशी

उमराह करने के लिए सऊदी अरब जाने वालों के लिए अच्छी खबर है. अब किसी भी तरह के वीजा पर सऊदी अरब में उमराह के लिए अनुमति दे दी गई है. सऊदी अरब सरकार के इस फैसले से काफी संख्या में जायरीनों का राहत मिलेगी.

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अब किसी भी वीजा पर सऊदी अरब जाकर कर सकेंगे उमरा, जानिए हज से कितना है अलग ?
अब किसी भी वीजा पर सऊदी अरब जाकर कर सकेंगे उमरा, जानिए हज से कितना है अलग ?

धार्मिक यात्रा के लिए सऊदी अरब जाने वालों के लिए अच्छी खबर है. सऊदी सरकार ने ऐलान कर दिया है कि अब लोग किसी भी वीजा पर सऊदी जाकर उमरा कर सकते हैं. सऊदी सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि चाहे कोई टूरिस्ट वीजा से आया हो या बिजनेस वीजा से, अब सभी तरह के वीजा पर उमरा करने की अनुमति दे दी गई है. बता दें कि इससे पहले उमराह के लिए स्पेशल वीजा लेना पड़ता था जिसका समय एक महीने का होता था.

सऊदी अरब के इस फैसले का उद्देश्य 'सऊदी मिशन 2030' को आगे बढ़ाते हुए हर साल 3 करोड़ लोगों को उमरा कराना है. हालांकि, अगर किसी को उमरा करना है तो उसे पहले Eatmarna ऐप के जरिए अपॉइंटमेंट बुक करानी होगी. सऊदी 2030 विजन सरकार का एक डेवलेपमेंट प्लान है जिसे देश की तेल निर्भर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के लिए बनाया गया है.

क्या है उमरा
उमरा एक तरह की धार्मिक यात्रा ही है, जो हज से थोड़ा अलग है लेकिन इसे कोई भी कर सकता है. इस यात्रा की अवधि सिर्फ 15 दिनों की होती है. सबसे खास बात है कि सऊदी में जब हज कराया जाता है तो उस समय उमरा नहीं किया जा सकता है. उमरा सिर्फ हज के दिनों को छोड़कर ही किया जाता है. उमरा के दिनों में यात्री करीब आठ दिन मक्का और सात दिन मदीना में समय लगाते हैं और धर्म अनुसार कार्यों को पूरा करते हैं. 

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हज और उमरा में कितना अंतर है ? 
हज और उमरा, दोनों ही इस्लामिक तीर्थ यात्रा के रूप हैं लेकिन इन्हें करने का तरीका थोड़ा अलग है. हज एक मुसलमान पर फर्ज होता है. यानी अगर कोई इंसान अगर इस्लाम को मानता है तो उसे अपने जीवन में एक बार हज जरूर करना होता है. 

अधिकतर लोग उम्र के आखिरी पड़ाव पर ही हज के लिए जाते हैं लेकिन नियम के अनुसार बालिग होते ही लड़का या लड़की पर हज फर्ज हो जाता है. हालांकि, हज के लिए इंसान शारीरिक, दिमागी और पैसे से भी मजबूत होना चाहिए. साथ ही जिस देश से वह सऊदी जा रहा है, वहां हज करने के बाद अपने देश वापस आने का खर्च उठाने की हैसियत रखता हो.

उमरा इसलिए है हज से अलग  

वहीं अगर उमरा की बात करें तो ये हज से थोड़ा अलग है. खास बात है कि ये इस्लाम में फर्ज नहीं बल्कि सुन्नत है. यानी हज को जाना एक मुस्लिम के लिए जरूरी होता है लेकिन उमरा पर जाना उसकी अपनी इच्छा और हैसियत पर निर्भर करता है. अगर वह इतना काबिल है कि अपने देश से सऊदी अरब जाकर उमरा का खर्चा उठा सकता है तो वह उमरा पर जा सकता है. 

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एक तरह से देखें तो उमरा पर मुस्लिम लोग अपने ईमान को ताजा करने और खुदा से माफी मांगने के लिए जाते हैं. इस्लाम में ऐसा कहा जाता है कि उमरा करने से एक मुसलमान के गुनाह धुल जाते हैं और पाक-साफ होकर अपने घर लौटता है. 

अगर कोई मुसलमान उमरा का खर्च नहीं झेल सकता है तो उसके लिए ये करना वाजिब नहीं है. हज सिर्फ कुछ खास दिनों के अंदर ही करना होता है लेकिन उमरा के लिए बाकी किसी भी महीने जाया जा सकता है. ऐसे में अब जो सऊदी सरकार ने फैसला किया है, उससे उमराह प्रक्रिया और ज्यादा आसान हो जाएगी और भारत से काफी संख्या में लोग उमराह के लिए पहुंचेंगे.

 

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