सऊदी अरब में कभी तख्त के दमदार दावेदार माने जाने वाले शहजादे मुतैब बिन अब्दुल्ला को नेशनल गार्ड प्रमुख के पद से बर्खास्त कर दिया गया है. इसके साथ ही सऊदी के 11 शहजादों को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया है. सऊदी के शाह सलमान और मुतैब के चाचा ने भ्रष्टाचार के आरोप में उनसे नेशनल गार्ड की कमान छीन ली है.
एंटी करप्शन कमेटी पर क्राउन प्रिंस की निगरानी
बता दें कि जिस भ्रष्टाचार रोधी समिति ने जांच कर 11 शहजादों को गिरफ्तार किया है और जिसकी जांच के बाद शहजादे मुतैब को पद से बर्खास्त किया गया है, उसकी अगुआई क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान कर रहे हैं.
मुतैब के पिता ने किया था नेशनल गार्ड का सफल नेतृत्व
शहजादे मुतैब के पिता दिवंगत शाह अब्दुल्ला ने पांच दशकों तक नेशनल गार्ड का नेतृत्व किया. उन्होंने ही नेशनल गार्ड को शक्तिशाली और प्रतिष्ठित बल में बदला था और इसे सत्ताधारी सऊदी परिवार और मक्का-मदीना में पवित्र स्थलों, तेल व गैस स्थलों की सुरक्षा का जिम्मा दिया था.
बड़े पद के दावेदार माने जाते थे मुतैब
शहजादे मुतैब बिन अब्दुल्ला का जन्म 1953 में हुआ. 2015 में अपने भाइयों माशाल और तुर्की की गवर्नर के पद से छुट्टी के बाद मुतैब को ही सऊदी की सत्ता में किसी बड़े पद का दावेदार माना जाता था, लेकिन शनिवार को मुतैब को नेशनल गार्ड प्रमुख के पद से बर्खास्त कर दिया गया.
जब मंत्री बने मुतैब बिन अब्दुल्ला
1996 में किंग फहद की तबीयत बिगड़ने के बाद मुतैब को इस फोर्स की सत्ता मिल गई, जब उनके पिता को देश का वास्तविक नेता मान लिया गया था. लेकिन आधिकारिक तौर पर मुतैब को 2010 में कमांडर बनाया गया. एक वक्त था जब मुतैब को बेहद व्यावहारिक और कुशल नेता माना जाता था. मुतैब आदिवासी नेताओं की पसंद रहे हैं. 2013 में नेशनल गार्ड को उसका अलग मंत्रालय दिया गया और मुतैब को इसका मंत्री नियुक्त किया गया.
इतना महत्वपूर्ण है नेशनल गार्ड
नेशनल गार्ड दशकों तक किंग अब्दुल्ला के लिए समांतर सेना के तौर कार्य करती रही, जो किसी भी तरह के संभावित विद्रोह शांत करने में सक्षम और देश शक्तिशाली जनजातियों को सरकार से जोड़े रहने में कामयाब रही. नेशनल गार्ड के जरिए मौजूदा दौर में कई मिलिट्री एकेडमी, हाउसिंग प्रोजेक्ट और हॉस्पिटल चलते हैं. इसकी मदद से ही अमेरिकी मिलिट्री कॉन्ट्रैक्टर्स के लिए राजस्व भी वसूला जाता है, जो इसके एक लाख सक्रिय सदस्यों और 27 हजार अनियमित स्वयंसेवकों को ट्रेनिंग देते हैं.