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पुतिन की फ्रांस के राष्ट्रपति से हुई बात, यूक्रेन संकट के समाधान के लिए रखीं 3 शर्तें

Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन के बीच सोमवार को बेलारूस में आयोजित ऐतिहासिक बातचीत खत्म हो गई है. साढ़े तीन घंटा चली बैठक में यूक्रेन और रूस ने अपनी अपनी मांगें रखीं.

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फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से पुतिन ने की बातचीत. (फाइल)
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से पुतिन ने की बातचीत. (फाइल)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पुतिन और मैक्रों के बीच हुई लंबी बातचीत
  • रूस अपनी शर्तों को लागू करवाने पर उतारू

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (Vladimir Putin) ने अपने फ्रांसीसी समकक्ष इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) से दो टूक कह दिया है कि यूक्रेन के साथ समझौता तभी संभव है जब रूस के वैध सुरक्षा हितों को बिना शर्त माना जाए. सोमवार शाम पुतिन और मैक्रों के बीच 1.30 घंटे बातचीत हुई. इस दौरान रूस ने यूक्रेन को बख्शने के एवज में अपनी तीन शर्तें रखी हैं.

रूस की शर्तों में शामिल है- क्रीमिया पर रूसी संप्रभुता की मान्यता, यूक्रेन का विसैन्यीकरण और विमुद्रीकरण और यूक्रेन की तटस्थ स्थिति सुनिश्चित करना. वहीं, साथ ही लगाए गए प्रतिबंधों के बाद पुतिन ने पश्चिम को 'झूठों का साम्राज्य' करार दिया.

बता दें कि रूस और यूक्रेन में जारी भीषण जंग का आज पांचवां दिन है. बेलारूस में दोनों देश बातचीत की मेज पर आमने-सामने आए. यूक्रेन का कहना है कि रूस के साथ बातचीत 'कुछ फैसलों' पर पहुंच गई है. फिलहाल आज के लिए  रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडलों के बीच वार्ता समाप्त हो गई है. अब पोलैंड-बेलारूस बॉर्डर पर अगले दौर की बातचीत होगी. इससे पहले चर्चा के लिए रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल अपनी अपनी राजधानी मॉस्को और कीव वापस चले गए हैं. 

उधर, अब पुतिन ने भी पलटवार करते हुए अमेरिका और उसके सहयोगी देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं. रूसी नागरिकों पर विदेश में पैसा भेजने पर रोक लगा दी गई है. साथ ही निर्यातकों से कहा गया है कि वो अपनी विदेशी कमाई का 80 फीसदी हिस्स बेचें. हालांकि, विशेषज्ञों की मानें तो रूस के इस कदम का पश्चिमी देशों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि नाटो NATO देशों की जीडीपी रूस की तुलना में 15 गुना ज्यादा है.

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24 फरवरी से शुरू हुए युद्ध के बाद से रूसी सेना लगातार यूक्रेन में अंदर तक घुसती चली जा रही है, लेकिन यूक्रेन के फौजी भी डटकर मुकाबला कर रहे हैं. खैर, दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल के बीच चली वार्ता के मौके पर आज भीषण बमबारी यूक्रेन में नहीं देखी गई. अब युद्ध के आगामी वक्त में दो ही परिदृश्य देखे जा सकते हैं. पहला यह कि इस  बातचीत से दोनों देशों के बीच कोई हल निकलेगा या फिर अगर बातचीत बेनतीजा रही तो आगे विश्वयुद्ध की खतरनाक शुरुआत हो सकती है. 

 

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