रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है. यूक्रेन पर रूस के हमलों (Russia- Ukraine war) में राजधानी कीव के अलावा खारकीव (Kharkiv) और मारियूपोल (Mariupol) जैसे शहर मलबों का ढेर बन गए हैं. इस समय सबसे बड़ा सवाल यही है कि रूस और यूक्रेन की जंग का आखिर अंजाम क्या होगा? इस बीच अमेरिका और रूस के रिश्ते में भी तल्खी आ गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के हालिया बयान को लेकर रूस के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राजदूत को समन किया है. रूस की तरफ से कहा गया है कि बाइडेन की वजह से रूस-अमेरिका के रिश्ते टूटने की कगार पर हैं.
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि चीन यूक्रेनी शहरों पर भीषण हमले कर रहे रूस को मदद मुहैया कराने का फैसला करता है, तो बीजिंग के लिए इसके कुछ निहितार्थ और परिणाम होंगे. इन सबके बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन 25 मार्च को पोलैंड की यात्रा करने वाले हैं, जहां वो यूक्रेन की मदद को लेकर बातचीत करेंगे.
26 दिन बाद भी विश्वयुद्ध का खतरा बरकरार
युद्ध को 26 दिन हो चुके हैं और यूक्रेन पर कब्जा करने के लिए अब रूसी सेना हाइपरसोनिक और क्रूज़ मिसाइलों से सैन्य ठिकानों को निशाना बना रही है. एक तरफ रूसी आक्रमक तेज हो रहे हैं तो दूसरी तरफ यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा है कि वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं. पुतिन के साथ बातचीत के साथ ही जेलेंस्की ने इस बात का भी इशारा कर दिया है कि अगर यह असफल रहती है तो इससे तीसरा विश्व युद्ध छिड़ सकता है.
अगर इतिहास के पन्नों को पलटें तो यूक्रेन युद्ध के दौरान वही हालात बन रहे हैं, जो प्रथम विश्व युद्ध और बाद में द्वितीय विश्व युद्ध का कारण बने थे. सरल शब्दों में समझे तो यूक्रेन और रूस के बीच जारी सीमित युद्ध किसी भी वक्त दुनिया को अपने चपेट में ले सकता है.
दो गुटों में बंट गई दुनिया
इसे आप यूं समझिए कि यूक्रेन ने हथियार डालने से मना कर दिया हैं और 24 फरवरी से जारी जंग के दौरान वो पुतिन की सेना को मुंहतोड़ जवाब दे रहा हैं. अगर आज के हालात देखें तो प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध की तरह मोटे तौर पर दुनिया दो गुट में बंटी हुई नजर रही है,एक तरफ यूक्रेन के साथ नाटो मुल्क के साथ पश्चिमी देश खुलकर साथ हैं, और दूसरी चरफ एटमी ताकत वाले रूस को चीन का खुला समर्थन मिल रहा हैं. खतरा विश्वयुद्ध का इसलिए है क्योंकि पुतिन अब खाली हाथ लौटने को तैयार नहीं वही अमेरिका किसी भी कीमत पर यूक्रेन को बचाना चाहता है. यानी दो गुट बन चुके हैं और आने वाले दिनों में यही दो गुट विश्वयुद्ध की वजह बन सकते हैं
यूक्रेन की तरफ से लगातार आरोप लगाया जा रहा है कि रूसी सेना प्रतिबंधित हथियारों के साथ-साथ मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा है, रूसी हथियारों से आम नागरिकों की मृत्यु हुई है. वही दूसरी तरफ जंग के मैदान से आ रही खबरें बता रही हैं कि रूसी सेना को बड़ा झटका लग रहा है.
हर दिन एक हजार सैनिक गंवा रहा है रूस
आंकड़ों के मुताबिक यूक्रेन के साथ युद्ध में प्रतिदिन रूसी सेना के 1 हजार सैनिक अपनी जान गंवा रहे हैं. युद्ध में अब तक 15000 से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं और 100 से ज्यादा फाइटर प्लेन और हेलिकॉप्टर बर्बाद हो चुके हैं.
यानी रूस के लिए यूक्रेन की जंग आने वाले दिन में ठीक वैसे ही साबित हो सकती है जैसे नेपोलियन के लिए...वाटर लू की जंग हुई थी. ठीक वैसे ही रूस घिर सकता है जैसे द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हिटलर चक्रव्यूह में फंसकर जंग हार गया था.
डिफेंस एक्सपर्ट मानते हैं कि पुतिन यूक्रेन में हार से बचने के लिए परमाणु हमला कर सकते हैं, अगर ऐसा हुआ तो विश्व युद्ध पक्का है. यहां आपको ये याद रखना है कि रूस सीमित परमाणु हथियारों का इस्तेमाल यूक्रेन पर कर सकता हैं, सीमित परमाणु हथियार यानी टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन.
जानकार बताते हैं कि टेक्टिकल प्रमाण हथियार ऐसे हथियार होते हैं जिन्हें सीमित या छोटे दायरे में इस्तेमाल किया जा सकता है.शीत युद्ध के दौरान, ये ऐसे परमाणु बम थे जिन्हें दोनों महाशक्ति देश अमेरिका और रूस एक दूसरे पर लंबी दूरी से मार सकते थे.
माना जाता है कि रूस के पास 2000 तक टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन हो सकते हैं. इन्हें कई तरह कि मिसाइलों और आम तौर पर पारंपरिक विस्फोटक ले जाने वाली मिसाइलों पर तैनात किया जा सकता है. इन्हें लड़ाई के मैदान में तोप से गोले की तरह भी दागा जा सकता है.
मतलब ये कि दुनिया विश्वयुद्ध के महाने पर खड़ी हैं, जंग में अगर पुतिन कीव पर कब्जा करता है तो भी मामला यहां रूकने वाला नहीं और अगर पुतिन की सेना को पीछे लौटने पड़ा तो भी,दोनों सूरत में संकेत दुनिया के लिए अच्छे नहीं है.
क्या है दूसरे विश्व युद्ध की कहानी
द्वितीय विश्व युद्ध की कहानी प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति से शुरू होती है. प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की हार हुई इसके बाद विजयी मित्र राष्ट्रों जिसमें ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, अमेरिका और जापान देश शामिल थे. उन्होंने जर्मनी को वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया. इस संधि के तहत जर्मनी को युद्ध का दोषी मानकर आर्थिक दंड लगाया गया. जर्मनी को अपनी जमीन के एक बड़े हिस्से से हाथ धोना पड़ा. साथ ही उस पर दूसरे राज्यों पर कब्जा करने की पाबंदी लगा दी गई और उसकी सेना का आकार भी सीमित कर दिया गया.
जर्मनी को ये संधि अपमानजनक लगी और इसी वजह से वहां अति-राष्ट्रवाद के प्रसार का रास्ता खुला.और जर्मनी ने बदला लेने के लिए दुनिया पर विश्वयुद्ध थोप दिया. मौजूदा हालात में रूस ने यूक्रेन पर युद्ध थोपा हैं, और दावा अपनी संप्रभुता को बचाने का है- वही यूक्रेन अपनी जमीन और अपनी संस्कृति बचाने की लड़ाई लड़ने का दम भर रहा है.
(आज तक ब्यूरो)
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