रूस और यूक्रेन के बीच में जारी जंग जितनी भीषण होती जा रही है. जुबानी वार भी उतने ही तेज हो रहे हैं. अभी तक तो अमेरिका सिर्फ प्रतिबंध लगा रूस के खिलाफ अपना विरोध जता रहा था. लेकिन अब राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक कदम आगे बढ़कर व्लादिमीर पुतिन को वॉर क्रिमिनल बता दिया. उनके इस एक शब्द ने रूस को इतना नाराज कर दिया है कि उसकी तरफ से तरह-तरह की चेतावनियां आना शुरू हो गई हैं.
कौन होते हैं वॉर क्रिमिनल?
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये वॉर क्रिमिनल कौन होते हैं, कैसे किसी नेता को वॉर क्रिमिनल घोषित किया जा सकता है, क्या इसकी कोई तय प्रक्रिया होती है? अब वॉर क्रिमिनल उन्हें कहा जाता है जो युद्ध के दौरान उन तय नियमों का उल्लंघन कर देते हैं जो दुनिया के बड़े देशों द्वारा साथ मिलकर बनाए जाते हैं. ये वो नियम होते हैं जिनके दायरे में रहकर ही किसी देश को युद्ध लड़ना होता है. अगर इन नियमों को तोड़ा जाए तो उस देश के नेता को वॉर क्रिमिनल कहा जा सकता है. लेकिन कोई भी शख्स ऐसे ही वॉर क्रिमिनल घोषित नहीं किया जा सकता है. सिर्फ किसी के बयान देने से भी कोई वॉर क्रिमिनल नहीं बन जाता है.
तय कैसे किया जाता है?
चार ऐसे रास्ते पहले से बने हुए हैं जिसके जरिए किसी भी नेता को वॉर क्रिमिनल घोषित किया जा सकता है. एक तो International Criminal Court से मदद ली जा सकती है. दूसरा तरीका ये है कि यूएन मामले को हाइब्रिड अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराध न्यायाधिकरण को सौंप दे. तीसरा रास्ता ये है कि नाटो, यूरोपीय संघ और अमेरिका के एक समूह द्वारा पुतिन पर मुकदमा चलाया जाए और जांच के बाद उन्हें वॉर क्रिमिनल घोषित कर दिया जाए.
वो अपराध कौन से जो वॉर क्रिमिनल बना दें?
अब यहां पर ये भी जानना जरूरी है कि वो कौन से अपराध हैं जिनके होने पर कोई वॉर क्रिमिनल बन सकता है. जो नियम बनाए गए हैं, उनके मुताबिक अगर युद्ध के दौरान बिना किसी कारण आम लोगों की हत्या करना, बिना किसी ठोस कारण के इमारतों को नुकसान पहुंचाना, लोगों को ढाल बना किसी पर हमला करना. ऐसा सब होने पर किसी भी देश के नेता को वॉर क्रिमिनल की श्रेणी में लाया जा सकता है. अब ये सख्त नियम भी इसलिए बनाए गए हैं ताकि युद्ध के दौरान ज्यादा से ज्यादा आम लोगों को लड़ने से रोका जा सके. वहीं जैविक या फिर परमाणु हथियार का इस्तेमाल ना हो, इसलिए भी इन नियमों का पालन जरूरी है.