Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन में जारी तनाव के बीच चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट (Chernobyl Nuclear Plant) में बिजली चली गई है. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी इंटरनेशनल एटोमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) का कहना है कि सुरक्षा पर इसका कोई गंभीर असर नहीं है.
IAEA ने ये भी बताया था कि यूरोप के सबसे बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट जेपोरीजिया (Zaporizhzhia) से भी डेटा ट्रांसमिशन गायब हो गया था. जेपोरीजिया प्लांट पर रूसी सेना ने 4 मार्च को कब्जा कर लिया था. वहीं, चेर्नोबिल में जंग के पहले ही दिन रूसी सेना का कब्जा हो गया था. चेर्नोबिल प्लांट में अप्रैल 1986 में एक बड़ा परमाणु हादसा हो गया था.
बुधवार को यूक्रेन के एनर्जी ऑपरेटर यूक्रेनएर्गो (Ukrenergo) ने फेसबुक पर बताया था कि चेर्नोबिल में पूरी तरह से पावर ग्रिड डिसकनेक्ट हो गई थी. IAEA ने इसे सुरक्षा के मामले में बड़ी चूक बताया था, हालांकि ये भी कहा कि इससे सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव नहीं पड़ा है.
मंगलवार को यूक्रेनएर्गो ने चेर्नोबिल प्लांट में रूसी सेना की निगरानी में काम कर रहे स्टाफ को लेकर चिंता भी जताई थी. उसका कहना था कि चेर्नोबिल में स्टाफ की स्थिति बिगड़ती जा रही है. 1986 जैसा हादसा दोबारा न हो, इसके लिए यहां 2 हजार से ज्यादा कर्मचारी अभी भी काम कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें-- Russia-Ukraine war में केमिकल अटैक की प्लानिंग! रूस-US ने एक दूसरे पर उठाई उंगली
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा (Dmytro Kuleba) ने बुधवार को ट्वीट कर बताया था प्लांट में रिजर्व डीजल जनरेटर है, जिससे 48 घंटे तक तो बिजली मिल सकती है, लेकिन उसके बाद कूलिंग सिस्टम बंद हो जाएगा.
यूक्रेनएर्गो ने कहा था कि मिलिट्री ऑपरेशन का मतलब है कि चेर्नोबिल में लाइन रिस्टोर करने की कोई संभावना नहीं है. ऑपरेटर ने ये भी बताया कि साइट के सिक्योरिटी सिस्टम में भी पॉवर नहीं था.
जेपोरेजिया में डेटा ट्रांसमिशन गायब
IAEA ने बताया कि जेपोरीजिया में डेटा ट्रांसमिशन के नहीं होने का कारण अब तक पता नहीं चल सका है. एजेंसी का कहना था कि दोनों साइट से डेटा ट्रांसमिशन में रुकावट आना चिंताजनक है. जेपोरीजिया के साथ-साथ चेर्नोबिल में भी ट्रांसमिशन नहीं हो रहा था.
IAEA के डीजी राफेल ग्रोसी ने बताया कि दुनियाभर में न्यूक्लियर साइट पर मौजूद एजेंसी के सेफगार्ड इक्विपमेंट्स से डेटा का रिमोट ट्रांसमिशन बहुत जरूरी है. उन्होंने बताया कि ऐसा सिस्टम हमें इन साइटों पर न्यूक्लियर मटैरियल और एक्टिविटी की निगरानी करने में मदद करता है.