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आजतक के 'वॉर रिपोर्टर्स' से जानिए, Ukraine में कैसे की गई थी ग्राउंड रिपोर्टिंग

आजतक के वो रिपोर्टर जिन्होंने यूक्रेन की हर खबर आप तक पहुंचाई थी, अब उनकी वतन वापसी हो गई है. उन सभी ने वहां के अनुभव, चुनौतियां पूरी देश के साथ साझा की हैं.

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यूक्रेन में कैसे की गई थी ग्राउंड रिपोर्टिंग?
यूक्रेन में कैसे की गई थी ग्राउंड रिपोर्टिंग?
स्टोरी हाइलाइट्स
  • खाने की दिक्कत, भाषा बनी चुनौती
  • कैब सर्विस नहीं, खुद चलानी पड़ती गाड़ी

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को दुनिया के कई मीडिया चैनल ने कवर किया, सभी ने अपने-अपने स्तर पर लोगों तक खबरें पहुंचाने का काम किया. लेकिन जितना तेज, जितना सटीक और जितना बेहतर आजतक साबित हुआ, दर्शकों ने भी उस पर पूरा भरोसा जताया. अब वो अटूट भरोसा इसलिए बना रहा क्योंकि आजतक के 'वॉर रिपोर्टर्स' ने जमीन से लोगों तक वो सच्चाई पहुंचाई जो विदेशी मीडिया कई मौकों पर दबा जाता था.

भाषा बनी चुनौती, ट्रैवल भी खतरनाक

अब वहीं आजतक के जाबाज रिपोर्टर्स अपने देश वापस आ गए हैं. उन्होंने पूरे देश के साथ अपना वो अनुभव साझा किया है जो उन्होंने यूक्रेन में अपनी आंखों के सामने देखा. गौरव सावंत ने बताया कि यूक्रेन में रिपोर्टिंग के दौरान सबसे बड़ी चुनौती भाषा की थी. वो लोग वहां पर ना हिंदी समझ पाते थे और ना ही अंग्रेजी. ऐसे में बातचीत करना ही सबसे ज्यादा मुश्किल हो जाता था. वहीं क्योंकि युद्ध के दौरान रूस द्वारा लगातार बमबारी हो रही थी, ऐसे में कैब सर्विस, ट्रेन ट्रैवल प्रभावित हो गया था. ऐसे में जहां भी जाना पड़ता था, तो खुद ही ड्राइव करना होता था.

गौरव ने ये भी बताया कि कई मौकों पर उन पर और उनके कैमरामैन पर बंदूक तान दी जाती थी. पूरी जांच की जाती थी, उन्हें जमीन पर लेटा दिया जाता था. कैमरा चेक होता था, फोन चेक होता था और हर वो संवेदनशील तस्वीर डिलीट करवा दी जाती थीं जिससे उन्हें सुरक्षा का खतरा रहता. 

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विश्वास करें या नहीं, सबसे बड़ा सवाल

आजतक के लिए अंतरराष्ट्रीय खबरें कवर करने वालीं गीता मोहन ने भी रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान अपनी रिपोर्टिंग से सभी को प्रभावित किया. उन्होंने हर खबर सबसे पहले दर्शकों तक पहुंचाई. अब अपने अनुभव के बारे में उन्होंने बताया कि यूक्रेन में दो सबसे बड़ी चुनौती थीं. एक तो ये रहा कि जिससे वे खबर ले रही हैं, वो कितना भरोसेमंद है, यानी की सोर्स पर विश्वास किया जा सकता है या नहीं. उनकी माने तो एक डर हमेशा रहता था कि कही कोई सोर्स धोखा दे जाए और उन्हें सेना के हवाले कर दे. लेकिन दो से तीन दिन बाद ही गीता मोहन ने जमीन पर अपने कई सारे कॉन्टैक्ट बना लिए थे और फिर वे खुद ही ड्राइव कर जगह-जगह जातीं और रिपोर्टिंग करतीं.

महिलाओं को पूरा सम्मान

श्वेता सिंह भी यूक्रेन से ही लगातार ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रही थीं. उन्होंने बताया कि यूक्रेन में महिलाओं का काफी सम्मान किया जाता है. वुमन्स डे के दिन उन्हें वहां पर गुलाब का फूल दिया गया था. उनकी माने तो उस गोलीबारी के बीच में भी महिलाओं को लेकर वैसा सम्मान हैरान कर देने वाला था. उन्होंने ये भी बताया कि कीव में रात होते ही कर्फ्यू लग जाता था और सिर्फ बमबारी की आवाज आती थी. रिपोर्टर्स ने ये भी बताया कि यूक्रेन में लोगों को बॉलीवुड फिल्मों से खासा प्यार है. राज कपूर को तो वे काफी पसंद करते हैं. ऐसे में उनके और यूक्रेन के लोगों के बीच में वो भी एक मजबूत कनेक्शन साबित हुआ था.

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