scorecardresearch
 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की जानिये क्या है नई इमिग्रेशन प्रणाली

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने उन तीन कार्यकारी आदेशों पर दस्‍तखत किए थे, जो ट्रंप प्रशासन की कठोर आव्रजन नीतियों को पलटने के लिए हैं. इन कठोर आव्रजन नीतियों पर बच्चों को उनके परिजनों से अलग करने के आरोप था. भारतीय-अमेरिकियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक इमिग्रेशन एडवोकेसी ग्रुप ने बाइडेन प्रशासन से ग्रीन कार्ड पर कंट्री कैप हटाए जाने तक किसी भी भारतीय को एच1बी वर्क वीजा जारी नहीं करने का आग्रह किया है.

Advertisement
X
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हर साल नए H-1B वीजा का लगभग 70% भारतीयों को किया जाता है जारी
  • भारतीय को एच-1बी वर्क वीजा जारी नहीं करने का आग्रह

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नई इमिग्रेशन प्रणाली जारी कर दी है. जो बाइडन ने उन तीन कार्यकारी आदेशों पर दस्‍तखत किए थे, जो ट्रंप प्रशासन की कठोर आव्रजन नीतियों को पलटने के लिए हैं. इन कठोर आव्रजन नीतियों पर बच्चों को उनके परिजनों से अलग करने के आरोप था.

भारतीय-अमेरिकियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक इमिग्रेशन एडवोकेसी ग्रुप ने बाइडेन प्रशासन से ग्रीन कार्ड पर कंट्री कैप हटाए जाने तक किसी भी भारतीय को एच-1बी वर्क वीजा जारी नहीं करने का आग्रह किया है.

वहीं इमिग्रेशन वॉयस नामक संस्था के अमन कपूर का कहना है कि अमेरिका में पहले से मौजूद भारतीयों को भेदभावपूर्ण ग्रीन कार्ड के कारण पर्मानेंट रेजिडेंट के लिए दशकों तक इंतजार करना पड़ता है.  ऐसे में अगर ज्यादा से ज्यादा भारतीयों को नए एच-1 बी वीजा जारी किए गए तो यह समस्या आगे और ज्यादा बड़ी हो जाएगी.  इसलिए इस पर रोक लगनी चाहिए.

अमन कपूर के मुताबिक हर साल, अमेरिका लगभग 85,000 नए H-1B वीजा श्रमिकों को स्वीकार करने के लिए एक लॉटरी आयोजित करता है, जिन्हें दोहरे इरादे वाले काम वीजा के रूप में जाना जाता है. हर साल नए H-1B वीजा का लगभग 70% (60,000 वीजा) भारत से श्रमिकों को जारी किया जाता है, जिनमें से कई अपने जीवनसाथी और नाबालिग बच्चों के साथ अमेरिका में प्रवेश करते हैं.

Advertisement

इमिग्रेशन वॉयस की रिपोर्ट का हवाला देते हुए अमन कपूर ने कहा कि हर साल भारतीय उपलब्ध कुल 120,000 रोजगार आधारित ग्रीन कार्डों में से केवल 8,400 प्राप्त कर पाते हैं. गैर-पक्षपातपूर्ण कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस बताती है कि इस भेदभावपूर्ण नियम के कारण आज भारतीयों की ये संख्या 1 मिलियन से अधिक लोगों की है जिससे एक बैकलॉग बनाया है. 2020 में ग्रीन कार्ड एप्लिकेशन मंजूर होने वाले भारतीयों को ग्रीन कार्ड मिलने में कम से कम अगले 195 वर्षों से अधिक समय का इंतजार करना पड़ेगा. वित्तीय वर्ष 2030 में ये लाइन 436 साल तक बढ़ जाएगी.

दूसरे देशों से काम करने आने वालों को अमेरिका ग्रीन कार्ड जारी करता है.  इसकी वैलिडिटी 10 साल होती है.  इसके बाद इसे रिन्यू कराना होता है. यह एक तरह से अमेरिका का परमानेंट रेजिडेंट कार्ड है.  इसका रंग हरा होता है, इसलिए इसे ग्रीन कार्ड कहा जाने लगा. अब तक अमेरिका ने हर देश के लिए सात प्रतिशत का कोटा तय कर रखा था. बाकी लोग वेटिंग लिस्ट में चले जाते थे. समय के साथ वेटिंग लिस्ट लंबी होती गई.  

एक अनुमान के मुताबिक, करीब 20 लाख लोग ऐसे हैं जो ग्रीन कार्ड मिलने का इंतजार कर रहे हैं.  नए कानून से यह लिमिट हट जाएगी. अब मेरिट के आधार पर ग्रीन कार्ड मिला करेगा. हर साल अमेरिका 85,000 नए एच-1 बी वीजा देता है. इनमें से लगभग 70% यानी 60,000 वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए जारी किए जाते हैं. नए वीजा का रजिस्ट्रेशन 9 मार्च से शुरू होगा, जो 25 मार्च तक चलेगा.  31 मार्च को लॉटरी सिस्टम से सफल आवेदकों की घोषणा की जाएगी. 

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement