पाकिस्तानी सेना के एक सेवानिवृत्त जनरल ने दावा किया है कि परवेज मुशर्रफ ने कारगिल के भारतीय क्षेत्र में दाखिल अपने सैनिकों को दिए गए आदेशों के बारे में आईएसआई को भी भनक नहीं लगने दी थी और इस खुफिया एजेंसी को भारत की सेना के संचार को इंटरसेप्ट करके इसकी जानकारी मिली.
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) शाहिद अजीज का कहना है कि उन्होंने तीन-चार मई, 1999 को इंटरसेप्ट के जरिए कारगिल में हलचल की जानकारी तत्कालीन आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जियाउद्दीन बट्ट तक पहुंचाई. इसके बाद बट्ट ने अजीज ने कहा कि वह इससे जुड़े दस्तावेज को अपने पास रखें.
अजीज के अनुसार इंटरसेप्ट के जरिए पता चला कि 10कोर के सैनिक नियंत्रण रेखा के पार ‘आक्रामक अभियान’ चला रहे हैं. कारगिल के समय अजीज आईएसआई की विश्लेषण शाखा के प्रमुख थे.
उर्दू में लिखी गई पुस्तक ‘ये खामोशी कहां तक’ में अजीज ने कहा है कि कारगिल के पूरे अभियान की पटकथा तत्कालीन सेना प्रमुख मुशर्रफ ने लिखी और खुद इसे अंजाम दिया था. मुशर्रफ के अलावा तीन और लोग भारत के खिलाफ इस साजिश में शामिल थे. ये तीनों चीफ ऑफ जनरल स्टॉफ लेफ्टिनेंट जनरल अजीज मुहम्मद खान, 10 कोर प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल महमूद अहमद और फोर्स कमांड नार्थन एरिया (एफसीएनए) के प्रमुख मेजर जनरल जावेद हसन थे.
अजीज कहते हैं, ‘इन चार जनरल के अलावा कोई भी शीर्ष सैन्य अधिकारी इस अभियान के बारे में नहीं जानता था. यहां तक कि 10कोर के मुख्यालय के कर्मचारियों को इसकी भनक नहीं थी कि कारगिल में क्या हो रहा है. सैन्य अभियान निदेशालय को भी उस वक्त पता चला जब सब कुछ हो चुका था.’ तत्कालीन आईएसआई प्रमुख बट्ट ने बाद में स्वीकार किया कि पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत के उन इलाकों पर कब्जा कर लिया है जो खाली पड़े थे या सर्दी के दिनों में जहां से भारतीय सैनिक चले गए थे.
अजीज का कहना है, ‘इंटरसेप्ट के जरिए पता चला कि भारतीय पक्ष में किस तरह की निराशा है और वे असमंजस की स्थिति में बात कर रहे हैं. ऐसा लगा कि हमारी सेना ने कारगिल में कोई बड़ा अभियान चलाया है.’ मई, 1999 में पाकिस्तान के सैन्य अभियान निदेशालय में मेजर जनरल तौकीर जिया ने कहा कि नार्दन लाइट इनफेंटरी और कुछ दूसरी इकाइयों के सैनिकों ने कारगिल में खाली पड़े क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है.
अजीज ने कहा कि वह अपनी पुस्तक में कारगिल को लेकर कुछ उन बातों को सही करने के लिए खुलासे किए हैं जिनका जिक्र मुशर्रफ ने अपनी पुस्तक ‘द लाइन ऑफ फायर’ में किया था.
अजीज ने कहा, ‘मेरा मानना है कि सच्चाई को सामने नहीं लाया गया तो नौजवानों का खून जाया चला जाएगा. मैं यह नहीं चाहता कि सैनिकों को अंधे होकर आग में झोंक दिया जाए.’ इस पूर्व अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान ने 1971 में भारत के साथ युद्ध के तथ्यों को छिपाया और अब कारगिल को लेकर भी वही हो रहा है.
अजीज ने इसका उल्लेख भी किया है कि किन कारणों से मुशर्रफ ने कारगिल अभियान को गुप्त रखा.
वह लिखते हैं, ‘इसे गोपनीय रखने की कोई वजह नहीं रह जाती. सैन्य दृष्टिकोण से यह योजना बहुत कमजोर थी और तैयारियां भी सीमित थीं और उस वक्त ऐसा समय भी नहीं था कि इस बारे में बात की जाए. इसे सार्वजनिक करने पर लोग स्वीकार भी नहीं करते. शायद यही वजह थी कि किसी को सूचित नहीं किया गया.’ उन्होंने कहा, ‘सवाल यह है कि यह अभियान क्यों चलाया गया? इसका क्या मकसद था? क्या यह एक भूल थी? इस राज का खुलासा शायद कभी नहीं होगा.’