टेरर फंडिंग की निगरानी करने वाली वैश्विक एजेंसी फाइनेन्सियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को एक्शन प्लान लागू करने के लिए सितंबर तक का समय दिया है. सितंबर तक 27 सूत्रीय एक्शन प्लान लागू नहीं किए जाने की हालत में अक्टूबर में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्टेड किया जा सकता है. ऐसे में पाकिस्तान की इमरान खान की सरकार के लिए करो या मरो की स्थिति पैदा हो गई है.
पाकिस्तान सरकार के सूत्रों की मानें तो एक्शन प्लान लागू करने के लिए वृहद स्तर पर प्रयास की आवश्यकता होगी. यह आसान नहीं होगा. एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि कानूनी एजेंसियों की ओर से जांच, अभियोग और दोषसिद्धि की जरूरत होगी, वहीं फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी, काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट सहित अन्य एजेन्सियों के बीच भी व्यापक तालमेल की आवश्यक होगा. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आतंकवादी घोषित किए गए हाफिज सईद की संपत्ति जब्त करने के साथ ही उसके संगठनों जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा, फलाह-ए-इन्सानियत फाउंडेशन, मिल्ली मुस्लिम लीग के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करनी होगी. यही कार्रवाई जैश-ए-मोहम्मद और उसके प्रमुख मसूद अजहर के खिलाफ भी करनी होगी.
FATF के एक्शन प्लान को पूरा करने के लिए आवश्यक कार्रवाई में आधा दर्जन से अधिक विभागों के बीच आपसी सामंजस्य का होना जरूरी है. वित्तीय अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए भी स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान और सेक्यूरिटी ऐंड एक्सचेंज कमिशन ऑफ पाकिस्तान, इनसे जुड़े सभी विभागों में सहमति का होना आवश्यक है. गौरतलब है कि पाकिस्तान सरकार पूर्व में इन विभागों में सामंजस्य के मोर्चे पर जूझती नजर आई है.
ऐसे समय में जब पाकिस्तान आर्थिक मोर्चे पर संकटों से जूझ रहा है, विदेशी ऋण का बोझ बढ़ता ही जा रहा है, डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की कीमत लगातार गिरती ही जा रही है, महंगाई बढ़ रही है, पाकिस्तान के लिए एफएटीएफ का एक्शन प्लान लागू करना किसी युद्ध से कम नहीं होगा.
बता दें कि एफएटीएफ ने स्पष्ट कहा है कि पाक ने टेरर फंडिंग रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए हैं. वैश्विक एजेन्सी ने कहा कि यदि पाकिस्तान ने टेरर फंडिंग और आतंकी ट्रेनिंग कैंपों के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाए तो उसे अक्टूबर में ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है. एफएटीएफ ने इसे अंतिम चेतावनी बताया था.