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पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट की पसंद भारत का सुप्रीम कोर्ट

यूं तो पाकिस्तान भारत की किसी भी चीज के अनुसरण से बचता है लेकिन वहां का सुप्रीम कोर्ट हमारे सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर बहुत ध्यान देता है. वह इनसे मार्गदर्शन करता है.

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यूं तो पाकिस्तान भारत की किसी भी चीज के अनुसरण से बचता है लेकिन वहां का सुप्रीम कोर्ट हमारे सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर बहुत ध्यान देता है. वह इनसे मार्गदर्शन करता है.

एक अंग्रेजी अखबार ने खबर दी है कि पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट हमारे सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर बहुत ध्यान देता है और कई बार उनका अनुकरण भी करता है. अखबार ने एक फैसले का भी हवाला दिया है.

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के बारे में महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं ताकि वह एक पारदर्शी और स्वायत्त संस्था बनी रही. उसने चुनाव ट्रिब्यूनल के अंतरिम आदेशों के खिलाफ हाई कोर्टों के क्षेत्राधिकार तय कर दिए. उसने इसमें चुनाव आयोग को महत्व दिया. उसने यह भी कहा कि है कि चुनाव की घोषणा हेने के बाद से चुनाव होने तक अदालतों की कोई भूमिका नहीं रहेगी. अगर कोई शिकायत है तो उसके बारे में अपील चुनाव प्रक्रिया खत्म होने के बाद ही सुनी जा सकेगी. अपने कई फैसलों से भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है.

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अब पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसा ही फैसला दिया है. 17 दिसंबर को उसने चुनाव आयोग को एक स्वायत्त संस्था मानते हुए उसे पूरे अधिकार दिए हैं. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए भारतीय उच्चतम अदालत के चार फैसलों का सहारा लिया है. इनमें 1955 से लेकर 1999 तक के मामले हैं.

पाकिस्तान के चीफ जस्टिस नासिर उल मल्क ने बकायदा इनका जिक्र भी किया है. उन्होंने पाकिस्तान के चुनाव आयोग को फ्री हैंड दिया है और कहा है कि उसके ट्रिब्यूनल के फैसलों पर उंगली नहीं उठाई जा सकती है.

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