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PAK में पहली बार दलित हिंदू महिला कृष्णा कोहली को मिला सीनेट का टिकट, बचपन से करती थीं मजदूरी

कृष्णा लाल काफी गरीब परिवार से आती हैं और उन्हें बचपन से ही मजदूरी करनी पड़ी है.

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कृष्णा लाल कोहली (फोटो ट्विटर@ZahidLashari15)
कृष्णा लाल कोहली (फोटो ट्विटर@ZahidLashari15)

कृष्णा लाल कोहली पाकिस्तानी संसद के उच्च सदन सीनेट का चुनाव लड़ने वाली पहली दलित महिला बन गई हैं. कृष्णा को पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP)ने टिकट दिया है. उनकी सीट से कुल 12 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. कृष्णा लाल काफी गरीब परिवार से आती हैं और उन्हें बचपन से ही मजदूरी करनी पड़ी है.

कृष्णा कोहली के भाई वीरजी कोहली पहले से ही पीपीपी से जुड़े रहे हैं और वह बरनव में यूनियन कौंसिल के चेयरमैन चुने गए हैं. कृष्णा यदि सीनेटर चुनी जाती हैं तो वह पाकिस्तानी संसद का सदस्य बनने वाली पहली अल्पसंख्यक हिंदू महिला होंगी. जानिए, कृष्णा लाल कोहली के बारे में 10 बातें...

1. साल 1979 में जन्मी कृष्णा एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. वह मूलत: सिंध प्रांत के नागरपरकर की रहने वाली हैं, जिसे धनागाम भी कहते हैं.

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2. कृष्णा लाल को किशूबाई भी कहते हैं, वह अल्पसंख्यक हिंदू धर्म के कोहली समुदाय से आती हैं.

3. कृष्णा लाल का परिवार एक बंधुआ मजदूर था, जिसकी वजह से उन्हें भी तीसरी कक्षा से ही मजदूरी करनी पड़ी.

4. कृष्णा का विवाह महज 16 साल की उम्र में लाल चंद से हो गया, जो सिंध एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे.

5. निरंतर संघर्षशील कृष्णा ने गरीबी और जल्द शादी के बावजूद सिंध यूनिवर्सिटी से सोशियोलॉजी में डिग्री हासिल की. उनके परिवार और पति ने उनके सपनों को पूरा करने में हमेशा समर्थन दिया और उनको पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा करने में भी मदद की.

6. कृष्णा लाल ने साल 2005 में सामाजिक कार्य शुरू किया और साल 2007 में इस्लामाबाद में आयोजित तीसरे मेहरगढ़ मानवाधिकार नेतृत्व प्रशिक्षण शिविर के लिए उन्हें चुना गया.

7. उन्होंने बंधुआ मजदूरी, कार्यस्थलों में यौन उत्पीड़न और महिलाओं के अधिकारों को समझने के लिए सक्रियता से कार्य किया.

8. उन्होंने पाकिस्तान में यूथ सिविल एक्शन कार्यक्रम के लिए काम किया है.

9. पाकिस्तानी समा टीवी चैनल के मुताबिक कोहली को सीनेट में उम्मीदवार बनने के लिए सिंध प्रांत के मंत्री सैयद सरदार अली शाह, डॉ. नफीसा शाह जैसे पीपीपी के कई नेताओं ने प्रोत्साहित किया है.

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10. कोहली का यह मानना है कि शिक्षा के अभाव में समाज के कमजोर वर्ग के लोग राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं हो पाते. वह महिलाओं और वंचित तबकों के सशक्तीकरण के लिए काम करना चाहती हैं.

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