पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे का खंडन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान चोरी-छिपे परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहा है. पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि पाकिस्तान 'परमाणु परीक्षणों को फिर से शुरू करने वाला पहला देश नहीं होगा.'
सीबीएस न्यूज से बातचीत में पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा, 'पाकिस्तान परमाणु परीक्षण करने वाला पहला देश नहीं था और न ही वह परमाणु परीक्षण दोबारा शुरू करने वाला पहला देश होगा.'
पाकिस्तानी अधिकारी ने ट्रंप के दावे पर प्रतिक्रिया देने में भले ही सतर्कता बरती हो लेकिन उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे को खारिज कर उन्हें झूठा करार दे दिया है. ये वही पाकिस्तान है जिसके प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर ट्रंप की कृपा पाने के लिए हाल तक उनके आगे-पीछे घूम रहे थे और उनकी हां में हां मिला रहे थे.
लेकिन जब ट्रंप ने चीन, रूस के साथ पाकिस्तान को भी लपेटे में लिया तब पाकिस्तान ने उनकी बात काटने में देर नहीं लगाई.
दरअसल, ट्रंप ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान दावा किया था कि पाकिस्तान समेत कई देश चोरी-छिपे परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं. उन्होंने ये दावा करते हुए तर्क दिया कि इस हिसाब से अमेरिका को भी अपना परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने का हक है.
ट्रंप ने गुरुवार को ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में घोषणा की थी कि अमेरिका तीन दशकों में पहली बार परमाणु हथियारों की टेस्टिंग फिर से शुरू करेगा.
इस घोषणा के बाद उन्होंने बीते रविवार को CBS न्यूज के शो '60 Minutes' में अमेरिका के परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने के फैसले पर बात की थी. इसी दौरान उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान, चीन, रूस, उत्तर कोरिया समेत कई देश छिपकर परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं.
उन्होंने कहा था, 'रूस परमाणु परीक्षण कर रहा है और चीन भी ये काम कर रहा है लेकिन वे इसके बारे में बात नहीं करते हैं. निश्चित रूप से उत्तर कोरिया परमाणु परीक्षण कर रहा है, पाकिस्तान भी कर रहा है.'
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इन देशों की परमाणु टेस्टिंग अंडरग्राउंड होती है जिससे उनका पता लगाना मुश्किल होता है.
ट्रंप के दावे पर चीन की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. चीन ने कहा है कि वो एक जिम्मेदार परमाणु हथियार संपन्न देश है जो शांतिपूर्ण विकास के लिए प्रतिबद्ध है.
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, 'चीन परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर 'No First Use' यानी 'पहले इस्तेमाल न करने' की नीति पर कायम है. हमारी परमाणु नीति पूरी तरह से आत्मरक्षा पर आधारित है और चीन कम्प्रिहेन्सिव न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रीटी (CTBT) की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करने को तैयार है. चीन अंतरराष्ट्रीय परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार संधि की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है.'
इसी के साथ ही माओ निंग ने आशा जताई कि अमेरिका CTBT के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करेगा और इस संबंध में ग्लोबल ऑर्डर के नियमों का सम्मान करेगा.
अमेरिका ने 1996 में CTBT पर हस्ताक्षर किया था. यह संधि सैन्य या नागरिक, किसी भी उद्देश्य से परमाणु परीक्षण विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाती है. अमेरिका ने अपना अंतिम परमाणु परीक्षण 1992 में किया था.
उत्तर कोरिया को छोड़कर पिछले कई दशकों में किसी अन्य देश के परमाणु विस्फोट करने की जानकारी नहीं है. रूस और चीन ने क्रमशः 1990 और 1996 के बाद ऐसे परीक्षण नहीं किए हैं. पाकिस्तान ने अपना अंतिम ज्ञात परमाणु परीक्षण 1998 में किया था.