संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं को शरण देने का पाकिस्तान का पुराना रवैया एक बार फिर बेनकाब हुआ है. कट्टरपंथी सोच और भारत विरोधी एजेंडे को खुला मंच देने वाले पाकिस्तान स्थित संगठन अब ना सिर्फ खुलेआम रैलियां कर रहे हैं, बल्कि उन्हें राजनीतिक और सैन्य संस्थानों का समर्थन भी हासिल हो रहा है.
सबसे बड़ा उदाहरण तब सामने आया, जब पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने लश्कर-ए-तैयबा के मुखिया और 26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को भारत को सौंपने का सुझाव दिया. इस प्रस्ताव पर पाकिस्तान में बवाल मच गया. मिल्ली मुस्लिम लीग (PMML) ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया और भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए. PMML, लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा प्रतिबंधित संगठन है.
PMML पाकिस्तान में लगातार सक्रिय है और यह संगठन भारत में अलगाववाद को बढ़ावा देने और आतंकवाद को महिमामंडित करने का खुला समर्थन करता है. हाल ही में आतंकवादी बुरहान वानी की बरसी पर आयोजित एक रैली में PMML नेताओं ने भारत के खिलाफ खुली धमकियां दीं. यह वही बुरहान वानी है जिसे भारतीय सुरक्षा बलों ने 2016 में मार गिराया था.
चौंकाने वाली बात यह रही कि इन रैलियों में पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के बड़े-बड़े पोस्टर लगाए गए थे. इससे यह साफ है कि भारत विरोधी एजेंडे को पाकिस्तानी सत्ता से भी परोक्ष समर्थन मिल रहा है. विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान के भीतर कट्टरपंथी ताकतें हावी हैं और वहां सरकारें आतंक के खिलाफ गंभीरता से कदम उठाने में पीछे हटती रही हैं.
भारत ने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर बेनकाब किया है, लेकिन अब स्थिति और ज्यादा गंभीर हो चली है. अब यह सिर्फ आतंकवाद को शरण देने की बात नहीं रह गई, बल्कि उसे राजनीतिक और सैन्य संरक्षण दिए जाने के स्पष्ट संकेत भी सामने आ रहे हैं, जो क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए खतरा है.