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PAK: कहीं चोरी ना हो जाए डाटा, सरकारी दफ्तरों में व्हाट्सएप-FB पर रोक का प्रस्ताव

NITB का कहना है कि वह एक ऐसा नया सॉफ्टवेयर तैयार कर रहे हैं, जिसका इस्तेमाल सरकारी दफ्तरों में किया जा सकता है. अधिकारी आसानी से एक-दूसरे से बातचीत कर पाएंगे, इससे वॉट्सऐप की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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पाकिस्तान में लिया जा सकता है फैसला!
पाकिस्तान में लिया जा सकता है फैसला!

  • PAK में सरकारी दफ्तर में सोशल मीडिया पर रोक का प्रस्ताव
  • IT मामलों की संसदीय कमेटी ने दिया है प्रस्ताव
  • जून 2020 तक प्रस्ताव लागू करने पर विचार

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली की एक कमेटी ने प्रस्ताव दिया है कि सरकारी दफ्तरों में सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर रोक लगा दी जाए. इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी मामलों से जुड़ी कमेटी ने बुधवार को ये प्रस्ताव रखा है ताकि सरकारी दफ्तरों से किसी तरह का सरकारी डाटा लीक ना हो जाए. हालांकि, इस प्रस्ताव पर विवाद भी शुरू हो गया है.

कमेटी के चेयरमैन अली खान ने इस मामले में सरकार से पूरा प्लान मांगा है, क्योंकि अगर ऐसा होता है तो विपक्ष की ओर से अभिव्यक्ति की आज़ादी का मसला उठाया जा सकता है.

पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार, नेशनल इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी बोर्ड (NITB) की ओर से कमेटी को प्रस्ताव रखा गया है कि सरकारी ऑफिस में ट्विटर, वॉट्सऐप, फेसबुक और यू-ट्यूब पर रोक लगा दी जाए. दरअसल, संसदीय कमेटी ने NITB से डाटा चोरी रोकने के तरीकों का सुझाव मांगा था.

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NITB का कहना है कि वह एक ऐसा नया सॉफ्टवेयर तैयार कर रहे हैं, जिसका इस्तेमाल सरकारी दफ्तरों में किया जा सकता है. अधिकारी आसानी से एक-दूसरे से बातचीत कर पाएंगे, इससे वॉट्सऐप की जरूरत नहीं पड़ेगी. प्रस्ताव में ऑफिस शिफ्ट के दौरान सोशल मीडिया पर रोक के साथ-साथ अधिकारियों के USB डिवाइस दफ्तर लाने पर भी रोक लगाने का प्रस्ताव है.

हालांकि, कमेटी ने इसपर भी शंका जताई है और इसके बदले हर अधिकारी की चेकिंग करने का प्रस्ताव रखा है. NITB की ओर से कहा गया है कि वह इस प्रस्ताव पर जून 2020 तक काम शुरू कर सकती है.

पाकिस्तान सरकार के द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार के 29 मंत्रालय ई-गवर्नमेंट के जरिए काम कर रहे हैं और अभी भी 13 मंत्रालयों में इस ओर कोई काम होना बाकी है. कुछ प्रांतीय सरकारों ने फेडरल सरकार से अपील की है कि देश में डाटा चोरी को लेकर कोई कानून नहीं है, इसपर भी विचार किया जाना चाहिए.

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