पाकिस्तान में आतंकवादियों की मौत के बाद उन्हें शहीद बताने से वहां की फौज बेहद नाराज है. ताजा मामला पाकिस्तानी तालिबान का है, जिसके चीफ हकीमुल्ला महसूद की अमेरिकी ड्रोन हमले में मौत हो गई थी. महसूद एक कट्टरपंथी था और उसके लोगों ने सैकड़ों बेगुनाह नागरिकों और फौजियों को मारा था. पाकिस्तानी अखबारों ने इस खबर को बहुत प्रमुखता से प्रकाशित किया है.
पाकिस्तान में हर आतंकवादी की मौत पर उसे शहीद का दर्जा देने का फैशन हो गया है. वहां उनके नाम पर सड़कों के नाम तक रखे जाते हैं. कट्टरवादी धार्मिक नेता ऐसे आतंकवादियों की प्रशंसा में कसीदे काढ़ते रहते हैं. दूसरी ओर आम नागरिक और वहां की फौज इस बात से नाराज रहती है. फौज ने आतंकवादियों को शहीद कहे जाने पर सख्त ऐतराज जताया है और कहा कि यह उन हजारों बेगुनाह नागरिकों की शहादत का मजाक है.
पाकिस्तानी फौज की इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस ने अमीर जमात-ए-इस्लामी के सैयद मुनव्वर हसन को कहा है कि वे मारे गए आतंकियों को शहीद बताने पर क्षमा मांगें. इतना ही नहीं उसने यह भी कहा कि हसन की टिप्पणियां गैरजिम्मेदाराना और भ्रामक हैं.
फौज ने यह मामला इसलिए उठाया है कि हसन और जेयूआई-एफ के चीफ फजलुर रहमान मारे गए आतंकवादी हकीमुल्ला महसूद को शहीद बता रहे थे. फजल ने तो यहां तक कहा था कि अमेरिका द्वारा मारा गया कुत्ता भी शहीद है. उसके इस बयान से पाकिस्तान में बहुत हाय तौबा मची थी.
तहरीक-ए-तालिबान ने सरकार का तख्ता पलटने की कोशिश में हजारों बेगुनाह नागरिकों और फौजियों को मारा था. उसके चीफ हकीमुल्ला महसूद को अमेरिकी ड्रोन ने पिछले शुक्रवार को मार गिराया था.
हसन ने न केवल महसूद को शहीद बताया बल्कि यह भी कहा कि आतंकवादियों से लड़कर मरने वाले पाकिस्तानी फौजी शहीद नहीं हैं क्योंकि वे अमेरिका के साथ हैं. फौज ने हसन के इस बयान की कड़ी निंदा की है और कहा है कि यह बेगुनाह नागरिकों और पाकिस्तानी फौजियों की शहादत का अपमान है. पाकिस्तानी जनरल लियाकत बुच ने कहा कि वह फौजियों के बलिदान का आदर करते हैं. उन्होंने पाकिस्तानी फौजियों की शहादत पर दुख जताया.
पाकिस्तान में अल कायदा और तालिबानियों ने अब तक लगभग 80,000 लोगों की हत्या कर दी है.