पाकिस्तानी तालिबान ने शनिवार को होने वाले ऐतिहासिक आम चुनाव के दौरान आत्मघाती बम धमाके समेत व्यापक हमले की धमकी दी है और कहा है कि वह लोकतंत्र की इस ‘काफिर प्रणाली’ का विरोध करता है.
तहरीके तालिबान के प्रमुख हकीमुल्ला मेहसूद ने उग्रवादी कमांडरों को संबोधित कर लिखे गये पत्र में 11 मई के दिन देश में व्यापक पैमाने पर हमले का दिशा निर्देश जारी किया है. एक मई को लिखे गये इस पत्र में मेहसूद ने कमांडरों से कहा, ‘मैं खबर-पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में हमलों को नियंत्रित करूंगा और आपको सिंध और पंजाब में हमले करना चाहिये.’
मेहसूद ने लिखा, ‘हम काफिरों की प्रणाली को स्वीकार नहीं करते हैं जिसे लोकतंत्र कहा जाता है.’ उसने अपने कमांडरों से चुनाव में हिस्सा ले रहे उम्मीदवारों को निशाना बनाने के लिये कहा और उन्हें ‘काफिर प्रणाली’ का एजेंट करार दिया.
मेहसूद ने कहा, ‘मैं फिदायिनों की एक अलग सूची के साथ हमलों की सूची और कार्यप्रणाली भेज रहा हूं.’ खबरों के मुताबिक पत्र में पंजाब और सिंध में हमलों की सूची दी गई है. इससे पहले मीडिया को भेजे गये एक अन्य पत्र में मेहसूद ने कहा था कि उनका गुट चुनाव में बाधा डालकर लोकतंत्र के सफाये पर अपना ध्यान केंद्रीत किये हुये है.
तहरीके तालिबान पाकिस्तान ने धर्मनिरपेक्ष कही जाने वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी, अवामी नेशनल पार्टी और मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट पर चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार हमला किया है जो देश के इतिहास में पहला लोकतांत्रिक बदलाव होगा.
पिछले चार सप्ताह में एएनपी और एमक्यूएम के उम्मीदवारों समेत करीब 100 लोग तालिबान और अन्य गुटों के हमलों में मारे गये हैं. हालांकि उग्रवादियों ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन और इमरान खान की पार्टी तहरीके इंसाफ को निशाना नहीं बनाया है. ये दोनों ही पार्टियां तालिबान के साथ बातचीत का समर्थन करती हैं.
सेना ने चुनाव के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये 70 हजार जवानों को तैनात किया है जबकि कई हजार अतिरिक्त सुरक्षा बल चार प्रांतों में तैनात किये गये हैं.