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निमिषा प्रिया की मां ने बताया- 12 साल बाद बेटी से मिली तो कैसी थी हालत

यमन में केरल की नर्स निमिषा प्रिया को फांसी की सजा सुनाई गई है और कल यानी 16 जुलाई को उनकी फांसी होनी है. इस फांसी को रोकने के लिए उनका परिवार हर तरह से कोशिश कर रहा है और इसी कोशिश में उनकी मां पिछले साल यमन गई थीं. वो अपनी बेटी से केवल दो बार मिली हैं और उनका कहना है कि बेटी को लिए बगैर वो यमन से वापस नहीं लौटेंगी.

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निमिषा प्रिया को बचाने की कोशिश में उनकी मां 2024 से ही यमन में हैं (File Photo)
निमिषा प्रिया को बचाने की कोशिश में उनकी मां 2024 से ही यमन में हैं (File Photo)

केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा को लेकर यमन से बड़ी खबर आ रही है. निमिषा को 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी लेकिन अब खबर है कि उनकी फांसी की सजा टल गई है. निमिषा को यमन में अपने बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है और उनका परिवार उन्हें बचाने की हर कोशिश कर रहा है. निमिषा की मां प्रेमा कुमारी उन्हें बचाने की कोशिश में यमन में हैं और उनकी कोशिशें रंग ला रही हैं. 

प्रेमा कुमारी अपनी बेटी को बचाने की मुहिम के तहत पिछले साल भारत सरकार से स्पेशल परमिशन के बाद अप्रैल 2024 में यमन गई थीं और इतने दिनों में केवल दो बार अपनी बेटी से मिल पाई हैं.

निमिषा की मां ने हाल ही में बीबीसी तमिल को एक इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने निमिषा से अपनी पहली मुलाकात का जिक्र किया है. मुलाकात से पहले निमिषा ने जेल प्रशासन के जरिए परिवार को एक मैसेज भेजा था.

मैसेज को लेकर प्रेमा कुमारी ने कहा, 'उसने हमें मैसेज किया लेकिन ताजा फैसले (फांसी) को लेकर कोई जिक्र नहीं किया. संदेश में उसने सिर्फ हमारा हालचाल पूछा था. वो नहीं चाहती थी कि मैं फैसले को लेकर चिंतित होऊं इसलिए उसने कुछ नहीं बताया.'

निमिषा की मां को उसकी फांसी की सजा के बारे में सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम से पता चला जो पिछले सात सालों से निमिषा को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. निमिषा को बचाने के लिए जेरोम की मदद से अक्टूबर 2020 में 'Save Nimisha Priya Action Council' का गठन भी किया गया है.

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निमिषा से अपनी मुलाकात को लेकर उनकी मां कहती हैं, 'मैं निमिषा से 12 साल बाद मिली थी. 23 अप्रैल को दूतावास के अधिकारी के साथ मैं उससे मिलने गई थी. लेकिन मुझे ये भी डर था कि बेटी से मेरी मुलाकात हो भी पाएगी या नहीं.'

उन्होंने आगे कहा, 'उसके साथ और दो लोग आए थे और सभी ने एक जैसे कपड़े पहने थे. मुझे देखते ही वो दौड़कर आई और गले लगकर रोने लगी. लेकिन फिर लोगों ने हमें चुप रहने को कहा. मैं 12 साल में पहली बार उससे मिली थी. मर भी जाऊं तब भी वो पल नहीं भूलने वाली. मुलाकात के वक्त निमिषा ऐसे दिखा रही थी जैसे वो खुश है.'

निमिषा को बचाने को लेकर सरकार ने क्या कहा?

सोमवार को ही निमिषा प्रिया मामले में एक याचिका पर सुनवाई की गई जिसमें केंद्र सरकार को भारतीय नर्स को बचाने के लिए डिप्लोमैटिक रास्तों के इस्तेमाल का निर्देश देने की मांग की गई थी. निमिषा के परिवार की तरफ से याचिका दायर करने वाले वकील सुभाष चंद्रन के.आर. ने कहा कि इस मामले में जल्द से जल्द डिप्लोमैटिक रास्तों की तलाश की जानी चाहिए.

सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमाणी ने कहा कि यमन पर हूती विद्रोहियों का कब्जा है और हूतियों को भारत सरकार मान्यता नहीं देती जिससे सरकार इस मामले में एक हद से ज्यादा कुछ नहीं कर सकती है. यमन 2014 से ही गृहयुद्ध की चपेट में है.

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अटॉर्नी जनरल ने कहा, 'यमन की संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार कुछ खास नहीं कर सकती... यमन की सरकार को हम कूटनीतिक तौर पर मान्यता नहीं देते हैं... एक हद तक भारत सरकार जो कर सकती है, हम वो कर चुके हैं. यमन दुनिया के किसी भी दूसरे हिस्से जैसा नहीं है. हम सार्वजनिक रूप से स्थिति को जटिल नहीं बनाना चाहते थे, हम निजी स्तर पर कोशिश कर रहे हैं.'

वहीं, वकील सुभाष चंद्रन के.आर. ने यह भी कहा कि आखिरी वक्त में भी निमिषा प्रिया का परिवार और उनके समर्थक पीड़ित के परिवार से साथ ब्लड मनी को लेकर बातचीत कर रहे हैं ताकि शरिया कानून के तहत निमिषा प्रिया को माफ किया जा सके. यमन में हूती सरकार चला रहे हैं जो शरिया यानी इस्लामिक कानून का पालन करने हैं.

क्या है ब्लड मनी?

इस्लामिक कानून के मुताबिक, पीड़ित या उसका परिवार तय कर सकते हैं कि अपराधी को क्या सजा दी जाए. यमन के कानून के मुताबिक अगर किसी ने किसी की हत्या की है तो इसकी सजा मौत है लेकिन अगर पीड़ित का परिवार चाहता है कि वो पैसे लेकर अपराधी को माफ कर दे तो वो ऐसा कर सकता है. इसे ही ब्लड मनी और इस्लामिक कानून में दिय्या कहा जाता है.

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निमिषा के मामले में महदी के परिवार से बातचीत शुरू करने के लिए ही अब तक भारतीय दूतावास के जरिए 40 हजार डॉलर दिए जा चुके हैं.

महदी के परिवार को निमिषा प्रिया के परिवार की तरफ से 10 लाख डॉलर (8.6 करोड़ रुपये) ब्लड मनी के तौर पर ऑफर किया गया है.

निमिषा प्रिया की पूरी कहानी

ये कहानी शुरू होती है 17 साल पहले 2008 में जब जब केरल के पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा प्रिया अपनी गरीब मां को सहारा देने के लिए यमन जाती हैं. निमिषा को राजधानी सना के एक सरकारी अस्पताल में नर्स की नौकरी मिल गई और फिर 2011 में वो शादी के लिए केरल लौटती है. उनकी शादी कोच्चि के टॉमी थॉमस से हुई और शादी के एक महीने बाद दोनों पति-पत्नी यमन लौट जाते हैं. यमन में थॉमस को भी कम सैलरी वाली इलेक्ट्रिशियन असिस्टेंट की नौकरी मिल जाती है.

2012 में निमिषा ने एक बेटी को जन्म दिया जिसके बाद परिवार में आर्थिक दिक्कतें शुरू हुईं. बेटी जब थोड़ी बड़ी हुई तो थॉमस 2014 में उसे लेकर वापस केरल लौट गए और निमिषा ने यमन में रहकर ही नौकरी जारी रखने का फैसला किया. ये वही दौर था जब यमन में गृहयुद्ध शुरू हुआ.

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पति-बेटी से दूर निमिषा ने फैसला किया कि वो अधिक पैसे कमाने के लिए खुद का क्लिनिक खोलेंगी ताकि पति और बच्ची को भी वापस यमन बुला सकें. लेकिन इसके लिए उन्हें किसी स्थानीय पार्टनर की जरूरत थी क्योंकि यमन में कोई विदेशी बिना पार्टनरशिप के अपना बिजनेस शुरू नहीं कर सकता. इसी दौरान निमिषा महदी के संपर्क में आईं. निमिषा ने महदी की पत्नी की डिलीवरी कराई थी और इसी वजह से उनकी उससे थोड़ी जान-पहचान थी.

महदी के साथ मिलकर बिजनेस शुरू करने से पहले 2015 में वो अपनी बेटी से मिलने भारत आई थीं. इस दौरान महदी भी उनके साथ आया और कथित तौर पर उसने इसी दौरान निमिषा की शादी की तस्वीरें चुरा लीं. निमिषा ने दोस्तों और रिश्तेदारों से कर्ज लेकर यमन में क्लिनिक खोलने के लिए 50 लाख रुपये जुटाए और फिर वापस लौटकर अपना क्लिनिक खोला.

निमिषा के वकील ने 2016 में कोर्ट में कहा था कि क्लिनिक खुलने के कुछ समय बाद महदी ने निमिषा का शारीरिक शोषण शुरू कर दिया और क्लिनिक के डॉक्यूमेंट्स में हेरफेर कर उसे अपना बताने लगा. उसने निमिषा का पासपोर्ट भी ले लिया जिससे वो वहां से भाग न सके.

निमिषा ने महदी के खिलाफ सना पुलिस से शिकायत की और यही महदी ने निमिषा की शादी की चुराई हुई तस्वीरों का फायदा उठाया. उसने थॉमस की जगह अपनी तस्वीर लगवा ली और पुलिस से बताया कि निमिषा उसकी पत्नी है. इसके बाद सना पुलिस ने निमिषा को ही 6 दिनों के लिए जेल में डाल दिया.

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पासपोर्ट हासिल करने के लिए दी बेहोशी की दवा और...

जेल से छूटने के बाद निमिषा पर महदी के शारीरिक और मानसिक अत्याचार और बढ़ गए. वो ड्रग्स के नशे में उनसे खूब मारपीट करता. 2017 में निमिषा ने उसे बेहोशी की दवा देकर अपना पासपोर्ट हासिल करने का प्लान बनाया लेकिन दवा ने अपना काम नहीं किया. महदी ड्रग्स लेने का आदी था इसलिए उस पर बेहोशी की दवा ने कोई असर नहीं दिखाया.

दूसरी कोशिश में निमिषा ने बेहोशी की दवा का डोज थोड़ा बढ़ा दिया जिसके मिनटों में महदी की मौत हो गई. महदी की मौत से घबराई निमिषा ने उसके टुकड़े किए और फिर उन्हें अंडरग्राउंड वाटरटैंक में डाल दिया और वहां से फरार हो गईं. महदी की बॉडी मिलने के बाद निमिषा की तलाश शुरू हुई और एक महीने बाद उन्हें सऊदी-यमन बॉर्डर से पकड़ा गया.

साल 2020 में एक स्थानीय अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई. सजा के खिलाफ यमन की सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई लेकिन 2023 में अपील खारिज हो गई. इसके बाद मामला यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी के पास पहुंचा और उन्होंने भी निमिषा की फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए 30 दिसंबर 2024 को अपना हस्ताक्षर कर दिया. हालांकि, अब उनकी मौत की सजा टाल दी गई है.

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ये भी पढ़ें- दो दिन बाद फांसी... क्या अब भी बचाई जा सकती है निमिषा प्रिया की जान? यमनी कोर्ट के दस्तावेजों में क्या लिखा है 

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