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नेपाल की डूबती अर्थव्यवस्था और बढ़ते कर्ज का फायदा उठा रहा चीन? जानें भारत के लिए क्या हैं चुनौतियां

नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अब भ्रष्टाचार और अव्यवस्था के खिलाफ़ रोष का परिणाम है. पिछले कई दशकों से नेपाल में चीन समर्थक कम्युनिस्ट सरकारें रही हैं. चीन दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, जिससे भारत के पड़ोसी देश आर्थिक रूप से कमजोर और राजनीतिक रूप से असुरक्षित हो रहे हैं. नेपाल की वर्तमान स्थिति भारत के लिए चीन के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ़ एक चेतावनी है.

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नेपाल में सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ़ भड़का जनसैलाब (Photo: Reuters)
नेपाल में सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ़ भड़का जनसैलाब (Photo: Reuters)

नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुआ यह विरोध सिर्फ इंटरनेट की आजादी का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह देश में बढ़ते भ्रष्टाचार और अव्यवस्था के खिलाफ़ जनता के ग़ुस्से का नतीजा है. पिछले कई दशकों से नेपाल में चीन समर्थक वामपंथी सरकारें सत्ता में रही हैं. जनता का आरोप है कि इन्हीं सरकारों ने देश की स्थिति बद से बदतर कर दी है.

नेपाल के कर्ज प्रबंधन कार्यालय के अनुसार जुलाई 2023 में सार्वजनिक कर्ज 24 लाख करोड़ था, जो फरवरी 2024 तक बढ़कर 26 लाख करोड़ रुपए हो गया. नेपाल का सरकारी कर्ज अब देश की जीडीपी का 45.77 फीसदी पहुंच चुका है.

एक दशक पहले तक यह आंकड़ा जीडीपी का सिर्फ़ 22 फीसदी था. वहीं कुल कर्ज में विदेशी कर्ज 50.87 फीसदी और घरेलू कर्ज 49.13 फीसदी है.

सड़कों पर उबाल

नेपाल में इससे पहले भी युवाओं ने राजशाही की वापसी की मांग को लेकर ज़बरदस्त प्रदर्शन किया था. तब चीन समर्थक सरकारों के खिलाफ जनता का ग़ुस्सा सड़कों पर साफ़ दिखाई दिया था. खास बात यह रही कि उस समय प्रदर्शनकारियों ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर भी लहराए थे.

आज काठमांडू में चीनी नेताओं के पोस्टर फाड़े जाने से यह साफ है कि जनता अब चीन की दखलंदाज़ी और वामपंथी सरकारों के खिलाफ़ खुलकर सामने आ रही है.

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Nepal protests against social media ban
दंगा निरोधक पुलिस अधिकारियों द्वारा खदेड़े जाने पर प्रदर्शनकारी छिपने के लिए भागते नजर आए (Photo: Reuters)

यह भी पढ़ें: नेपाल बना अमेरिका-चीन जंग का नया अखाड़ा? समझें- सोशल मीडिया बैन और Gen-Z की हिंसक क्रांति का पूरा गठजोड़

देशभर में फैला आंदोलन

काठमांडू के अलावा कई शहरों में हालात बेकाबू हैं. झांका, जो प्रधानमंत्री का गृह ज़िला है, वहां कर्फ्यू लगा दिया गया है. पश्चिम मातों के और गिरबन में भी रात 9 बजे से कर्फ्यू लागू है. बिटवल और भरवा जैसे शहरों में दोपहर से ही कर्फ्यू है. उथरी में भी गोलीकांड हुआ और कई प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं.

पूरे नेपाल में यह आंदोलन तेज़ी से फैल रहा है. अभी तक सरकार की ओर से सिर्फ़ इतना कहा गया है कि हिंसा की जांच के लिए एक समिति बनाई जाएगी. सोशल मीडिया बैन हटाने को लेकर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया गया है.

चीन का बढ़ता प्रभाव और भारत के लिए चुनौती

चीन लगातार दक्षिण एशिया में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है. पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में चीन का प्रभाव पहले से है. श्रीलंका विदेशी कर्ज चुकाने में असमर्थ हो चुका है. मालदीव के सार्वजनिक कर्ज का 20 फीसदी हिस्सा चीन को चुकाना है. पाकिस्तान तो चीन का उपनिवेश बनता जा रहा है. बांग्लादेश और अफगानिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता का चीन फ़ायदा उठा रहा है. नेपाल भी अब उसी जाल में फंसता दिखाई दे रहा है.

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भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि जितने कमजोर हमारे पड़ोसी देश होंगे, उतनी ही तेजी से चीन का कर्ज और दखल बढ़ेगा. नेपाल का ताज़ा विरोध भारत को साफ़ चेतावनी देता है कि हमारे चारों तरफ़ चीन का प्रभाव गहराता जा रहा है.

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