जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बांग्लादेश में दो हिंदू युवकों की लिंचिंग पर कड़ा विरोध जताया है. बांग्लादेश में हालिया हिंसा में दो हिंदुओं, दीपू चंद्र दास और अमृत मंडल की लिंचिंग कर दी गई. बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे इस अत्याचार पर अरशद मदनी ने कहा कि इस्लाम इस तरह के हत्याओं की इजाजत नहीं देता है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्या करने वालों ने इस्लाम को बदनाम किया है.
सोशल मीडिया साइट एक्स पर मौलाना मदनी ने एक लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा है जिसमें उन्होंने धार्मिक उग्रवाद के लिए बांग्लादेश पर निशाना साधा. साथ ही भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर भी कड़ी टिप्पणी की.
उन्होंने लिखा, 'बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, वह बहुत ही बुरा हुआ. यह केवल एक हत्या नहीं, बल्कि हैवानियत और दरिंदगी की इंतिहा है. इसकी जितनी भी निंदा की जाए, वह कम है. इस्लाम इसकी कतई, कतई अनुमति नहीं देता. जिन लोगों ने ऐसा किया है, उन्होंने न केवल इस्लामी शिक्षाओं का उल्लंघन किया है, बल्कि इस्लाम को बदनाम करने का काम भी किया है. इसलिए ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए.'
मौलाना मदनी ने आगे लिखा कि धार्मिक उग्रवाद और नफरत हमारे देश को भी तबाह-बर्बाद कर रहे हैं.
मौलाना ने आगे लिखा, 'क्रिसमस के मौके पर ईसाई समुदाय के साथ सांप्रदायिक तत्वों ने जो कुछ किया, उसे भी किसी भी रूप में सही नहीं ठहराया जा सकता. यह संविधान में नागरिकों को दी गई धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है. जगह-जगह चर्चों पर हमले हुए, और ईसाई समुदाय को अपना त्योहार मनाने से रोकने की कोशिश की गई.'
बिहार, केरल में हुई कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए मदनी ने लिखा, 'कुछ दिन पहले बिहार के नालंदा में कपड़ों की फेरी लगाने वाले एक मुसलमान से कुछ लोगों ने नाम और धर्म पूछकर इतनी बेरहमी से मारपीट की कि उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया. केरल में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया, जहां छत्तीसगढ़ के एक दलित युवक को बांग्लादेशी बताकर मौत के घाट उतार दिया गया. इसके कुछ ही दिनों बाद ओडिशा में पश्चिम बंगाल के तीन मुस्लिम मजदूरों की मॉब लिंचिंग हुई, जिसमें से एक की मौत हो गई और दो लोगों का अस्पताल में इलाज हो रहा है.'
अरशद मदनी ने दुख जताते हुए कहा कि इन घटनाओं की न तो सरकार ने निंदा की और न ही मंत्रिमंडल के किसी सदस्य ने इस पर कोई बयान दिया.
उन्होंने सवाल किया, 'बांग्लादेश की घटना पर टीवी चैनलों में चर्चा और देश में हो रही मॉब लिंचिंग पर चुप्पी, बेहद अफसोसनाक है. इस दोहरे रवैये को क्या नाम दिया जाए? यकीनन ये वह भारत नहीं है, जिसका सपना महात्मा गांधी, शेखुल हिंद, मोतीलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद और हमारे बुजुर्गों ने देखा था.'