हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आतंक के हजार जख्मों के बावजूद आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलेंगे. हालांकि न्यूयॉर्क में आज की इस अहम मुलाकात से पहले ही मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान को आइना दिखा दिया है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम ने कहा, 'पाकिस्तान आतंक का गढ़ है और बेहतर रिश्ते के लिए पाकिस्तान को इन पर कार्रवाई करनी होगी.'
1999 में करगिल युद्ध, 2001 का संसद हमला, 2008 में मुंबई हमला, जनवरी 2013 में सैनिकों का सिर कलम और हाल ही में जम्मू में हुआ आतंक का डबल अटैक, इन सब घटनाओं ने भारत और पाकिस्तान के बीच खटास बढ़ाई है.
पाक को मनमोहन की नसीहत, रिश्ते सुधारने हैं तो बंद करनी होगी आतंकवाद की फैक्ट्री
कितना अच्छा होता कि आज होने वाली मनमोहन और नवाज की ऐतिहासिक मुलाकातों के बीच आतंक के जख्मों की टीस न होती, कितना अच्छा होता कि हिन्दुस्तान और पाकिस्तान दो पड़ोंसी मुल्कों के वजीरे आजम की मुलाकात से खुशियों के पैगाम आते. दोस्ती, भाईचारा, अमन के फूल झड़ते. लेकिन हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के रिश्तों का दर्द ही यही है कि हर मुलाकात का दर्द एक ही होता है - आतंक और कश्मीर
इत्तेफाक देखिए कि मियां नवाज शरीफ पूरे 14 साल बाद हिन्दुस्तान के किसी प्रधानमंत्री से मिलने जा रहे हैं और हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी दिल में अमन की आस लिए पाकिस्तान के वजीरे आजम से मिलने वाले हैं लेकिन मुलाकात की कोई गर्मजोशी नहीं. शक पाकिस्तान के दिल में भी है और नाउम्मीदी हिन्दुस्तानियों में भी.
नवाज और मनमोहन की आज होने वाली मुलाकात से दो दिन पहले जम्मू में जिस तरह सैनिकों और पुलिसवालों के खून बहाए गए या पिछले कई सालों से आतंक की गोली से जो हजारों बेकसूरों के खून बहे हैं, हिन्दुस्तान उन सबका हिसाब मांग रहा है.
सवाल है आज जब हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह न्यूयार्क में मुलाकात करेंगे तो क्या नवाज उन जख्मों का हिसाब दे पाएंगे?
मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान की जमीन पर पनपने वाले आतंकवाद का मुद्दा नवाज शरीफ के सामने उठाने और उनसे जवाब मांगने की पूरी तैयारी तो की है लेकिन सवाल है जो पाकिस्तान कई दशकों से नहीं बदला, वो क्या अब बदलेगा?