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विवाद के बाद कनाडा वापस गया पूर्व खालिस्तानी आतंकी जसपाल अटवाल

भारत में जसपाल को कनाडा के पीएम जस्टिन की पत्नी के साथ देखे जाने और पीएम के डिनर में आमंत्रित किए जाने पर विवाद शुरू हो गया था. कनाडा के दूतावास ने उसके निमंत्रण को रद्द कर दिया था.

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कनाडा के पीएम की पत्नी के साथ जसपाल
कनाडा के पीएम की पत्नी के साथ जसपाल

भारत में विवाद के बाद खालिस्तान समर्थक पूर्व आतंकी जसपाल अटवाल कनाडा वापस चला गया है. भारत में उसके कनाडा के पीएम जस्टिन की पत्नी के साथ देखे जाने और पीएम के डिनर में आमंत्रित किए जाने पर विवाद शुरू हो गया था. कनाडा के दूतावास ने उसके निमंत्रण को रद्द कर दिया था.

खुद कनाडा के पीएम जस्ट‍िन ने इस पर खेद जताते हुए हैरत जाहिर की थी कि किस तरह से अटवाल को आमंत्रित किया गया. कनाडा सरकार ने इस मामले की जांच शुरू की है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार जसपाल अटवाल इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का पूर्व सदस्य है और पंजाब के एक मंत्री मल्कियत सिंह सिंधु की 1986 में वैंकुवर में हत्या के प्रयास में उसे दोषी करार दिया गया था. उसे तीन अन्य साथियों के साथ 20 साल की सजा सुनाई गई थी. लेकिन बाद में उसे अच्छे आचरण के चलते रिहा कर दिया गया था.

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उसने मुंबई में 20 फरवरी को एक कार्यक्रम में कनाडा पीएम की पत्नी सोफी ट्रूडो के साथ फोटो खिंचवाई. जसपाल के साथ कनाडा के बुनियादी ढांचा और समुदाय मंत्री अमरजीत सोही ने 20 फरवरी को मुंबई में फोटो खिंचवाई. यही नहीं, सोशल मीडिया में पीएम जस्ट‍िन के साथ भी उसकी तस्वीरें शेयर की जा रही हैं.

पंजाब चुनाव से पहले काली सूची से नाम हटा

जसपाल को वीजा मिलने के सवाल पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसका नाम 'काली सूची' से हटा दिया गया है, इसलिए ऐसा संभव हुआ. सूत्रों के अनुसार पंजाब के 2016 के चुनाव से पहले गृह मंत्रालय के एक अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इस सूची की समीक्षा की थी और करीब 300 एनआरआई सिख और उनके परिवारों को सूची से बाहर कर दिया गया था.

इस मुद्दे को लेकर जसपाल अटवाल ने भी सफाई दी है. अटवाल ने कहा है कि 1986 में हुई शूटिंग की एक घटना को आज के समय में इस प्रकार उछालना ठीक नहीं है. अटवाल ने कनाडाई मीडिया से कहा कि वह मुंबई में व्यापार से जुड़े काम से गए थे, उनका दिल्ली में डिनर में शामिल होने का इरादा नहीं था. अटवाल ने कहा है कि उनसे नफरत करने वाले लोग इस फोटो को गलत तरीके से फैला रहे हैं, वह 11 फरवरी को भारत आए थे. अटवाल ने बताया कि वह सरकारी डेलिगेशन के साथ नहीं बल्कि पर्सनल दौरे पर आए थे.

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