भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के गुरुवार को बीच करतारपुर कॉरिडोर को लेकर अटारी बॉर्डर पर बैठक हुई. भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों की इस मुलाकात के बाद गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने साफ किया कि भारत अब भी अपने एजेंडे पर कायम है. आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते हैं. इसी वजह से भारतीय प्रतिनिधिमंडल के अधिकारियों ने पाकिस्तान के अधिकारियों से हाथ तक नहीं मिलाए.
भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच अटारी बॉर्डर पर हुई इस मीटिंग में सिर्फ करतारपुर कॉरिडोर को लेकर ही बात हुई. भारत ने इस मुद्दे पर भी अपनी चिंता जताई कि पाकिस्तान में बैठे खालिस्तान समर्थक सिखों के धार्मिक स्थलों का इस्तमाल रेफरेंडम 20-20 और भारत से अलग करके खालिस्तान बनाने के अपने एजेंडे को लेकर करते हैं.
इन गुरुद्वारों में भारत से पहुंचने वाले सिख श्रद्धालुओं को बरगलाने की कोशिश भी की जाती है और भारतीय हाई कमीशन के अधिकारियों को इन गुरुद्वारों में जाने तक नहीं दिया जाता है. भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल अधिकारियों के मुताबिक इस पर पाकिस्तान के अधिकारियों ने भरोसा दिलाया कि उसकी जमीन या पाकिस्तान में स्थित इन गुरुद्वारों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किसी भी तरह की मुहिम को चलाने के लिए नहीं होने दिया जाएगा.
भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तानी अधिकारियों से सिख श्रद्धालुओं को कॉरिडोर से गुरुद्वारे तक पैदल जाने की परमिशन देने के लिए भी कहा है, क्योंकि कई श्रद्धालुओं की आस्था होती है कि वो पैदल गुरुद्वारे तक जाएं.
इसके अतिरिक्त पाकिस्तान ने भरोसा दिलाया कि श्रद्धालुओं के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था भी पाकिस्तान की ओर से की जाएगी, क्योंकि गुरुद्वारे तक का सफर करीब साढ़े 4 किलोमीटर का है और रात को करतारपुर में रुकने की किसी को परमिशन नहीं दी जाएगी. इसी वजह से श्रद्धालुओं को उसी दिन वापस लौटना होगा.
इस दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने इस कॉरिडोर को पासपोर्ट और वीजा फ्री करने की मांग भी पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ उठाई. इसके साथ ही भारत सरकार के अधिकारियों ने भरोसा दिया कि कॉरिडोर को लेकर सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए जाएंगे और इस बात का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा कि कॉरिडोर के माध्यम से किसी तरह की कोई घुसपैठ ना हो.