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तालिबान राज में महिलाओं संग होगा कैसा सलूक? 20 से अधिक देशों ने जताई चिंता

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद विभिन्न देशों ने वहां की महिलाओं, लड़कियों की स्थिति को लेकर चिंता जताई है. अब यूरोपीय देशों के साथ-साथ करीब 20 और देशों ने एक साझा बयान जारी किया है.

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US दूतावास के बाहर खड़े तालिबानी आतंकी (क्रेडिट - AP)
US दूतावास के बाहर खड़े तालिबानी आतंकी (क्रेडिट - AP)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 20 से अधिक देशों ने साझा बयान जारी किया
  • लिखा है कि महिलाओं पर अत्याचार नहीं होना चाहिए

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद विभिन्न देशों ने वहां की महिलाओं, लड़कियों की स्थिति को लेकर चिंता जताई है. तालिबान भले ही भरोसा दे चुका है कि वह महिलाओं को शरिया कानून के तहत 'आजादी' देगा, लेकिन उसका इतिहास देखते हुए यकीन करना इतना आसान नहीं है.

अब यूरोपिय देशों के साथ-साथ करीब 20 और देशों ने एक साझा बयान जारी किया है. जिसपर इन सभी देशों के साइन हैं. उन्होंने महिलाओं को, उनके अधिकारों, आजादी को लेकर चिंता जताई है.

20 से ज्यादा देशों ने जारी किया साझा बयान

अफगान संकट पर चिंता जताते हुए अल्बानिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चिली, कोलंबिया, कोस्टा रिका, इक्वाडोर, अल सल्वाडोर, यूरोपीय संघ, होंडुरास, ग्वाटेमाला, उत्तरी मैसेडोनिया, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पराग्वे, सेनेगल, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका ने साझा बयान जारी किया है. 
 
भविष्य की सरकार से देशों ने जताई उम्मीद

साझा बयान में लिखा है कि हम लोग अफगान की महिलाओं, लड़कियों के बारे में, उनकी पढ़ाई, काम और आजादी को लेकर बहुत चिंतित हैं. हम अफगान के मौजूदा प्रशासन से उनकी सुरक्षा की गारंटी देने का वादा चाहते हैं. बयान में आगे लिखा है कि हम लोग इस चीज पर बारीकी से नजर रखेंगे कि भविष्य की सरकार महिलाओं को किस तरह अधिकार और आजादी देती है. पिछले 20 सालों में यह अफगान की महिलाओं-लड़कियों के लिए भी जीवन का अभिन्न अंग बन गया है.

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साझा बयान में कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ अफगानिस्तान में किसी तरह का अत्याचार नहीं होना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय समुदाय उनकी मदद को हमेशा तैयार है. उनकी आवाजों को, मांगों को सुना जाएगा.

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