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UAE ने अंतरिक्ष में अपना पहला एस्ट्रोनॉट भेजा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले- हमें प्रेरणा मिली

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO का मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान 2022 में रवाना होगा. लेकिन, दो साल पहले ह्यूमन स्पेस मिशन की तैयारी करने वाले संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने अपना पहला एस्ट्रोनॉट अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर भेज दिया है. यूएई से हज्जा-अल-मंसूरी सोयूज रॉकेट से स्पेस स्टेशन गए. पीएम मोदी ने हज्जा को बधाई दी.

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बाएं से दाएं - हज्जा-अल-मंसूरी, ओलेग स्क्रिपोचका और जेसिका मीर. (फोटो-नासा)
बाएं से दाएं - हज्जा-अल-मंसूरी, ओलेग स्क्रिपोचका और जेसिका मीर. (फोटो-नासा)

  •  1 साल चली अंतरिक्ष यात्री की ट्रेनिंग
  • 4020 लोगों में चुने गए थे 2 लोग
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space Research Organization - ISRO) का मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान 2022 में रवाना होगा. लेकिन, दो साल पहले ह्यूमन स्पेस मिशन की तैयारी करने वाले संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने अपना पहला एस्ट्रोनॉट अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (International Space Station - ISS) के लिए भेज दिया है. पहली बार ही किसी इस्लामिक देश से कोई एस्ट्रोनॉट ISS पहुंचा है. UAE से पूर्व वायुसेना फाइटर पायलट हज्जा-अल-मंसूरी रूसी अंतरिक्ष यान सोयूज एमएस-15 से ISS गए. यह प्रक्षेपण कजाखस्तान के बैकोनूर कॉस्मो़ड्रॉम से किया गया था. हज्जा-अल-मंसूरी के साथ अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री जेसिका मीर और रूसी कॉस्मोनॉट ओलेग स्क्रिपोचका भी अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन गए हैं. ओलेग स्क्रिपोचका तीसरी बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए हैं, जबकि बाकी दोनों यात्री पहली बार. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने UAE के पहले एस्ट्रोनॉट के अंतरिक्ष जाने पर बधाई देते हुए कहा कि भारत को अपने मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए इससे प्रेरणा मिली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि हमारे भाई हज्जा की सफल शुरुआत के बारे में जानकर बहुत खुशी हुई जो निश्चित रूप से अंतरिक्ष में एक शानदार यात्रा होगी. मैं शेख मोहम्मद बिन जायेद की भी प्रशंसा करता हूं, बधाई हो यूएई. उन्होंने कहा कि भारत को 2022 के अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए एक अच्छे दोस्त की इस उपलब्धि से प्रेरणा मिली है.

हज्जा-अल-मंसूरी ने स्पेस स्टेशन के लिए की 1400 घंटे की ट्रेनिंग

3 सितंबर 2018 को, यूएई ने पहले दो अमीराती अंतरिक्ष यात्रियों, हज्जा अल मंसूरी और सुल्तान-अल-नेयादी के नामों की घोषणा की थी. इसके बाद इनकी एक साल तक ट्रेनिंग चली. इन एस्ट्रोनॉट्स ने 90 से अधिक पाठ्यक्रमों की पढ़ाई की और 1,400 से अधिक घंटे की ट्रेनिंग ली. दुबई के क्राउन प्रिंस और मोहम्मद बिन राशिद अंतरिक्ष केंद्र के अध्यक्ष शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि को राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नहयान; यूएई के उपाध्यक्ष और प्रधानमंत्री और दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम और अबू धाबी के क्राउन प्रिंस और यूएई सशस्त्र बलों के उप सर्वोच्च कमांडर शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान को समर्पित किया.

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क्राउन प्रिंस ने कहा यह उपलब्धि अरब के ज्ञान-विज्ञान का सम्मान है

क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने कहा कि यह उपलब्धि अरब के ज्ञान-विज्ञान के ऐतिहासिक योगदान की याद दिलाती है, जो आज भी दुनिया के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों और वैज्ञानिक संस्थानों में पढ़ाया जा रहा है. यह मिशन एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है. देश उन्नत वैज्ञानिक विकास के एक नए चरण में प्रवेश करने के लिए तैयार है.

2017 में अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत हुई, 2 साल में यात्री अंतरिक्ष में भेजा

यूएई के अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम को अप्रैल 2017 में यूएई के उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री और दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने शुरू किया था. 6 दिसंबर 2017 को शेख मोहम्मद बिन राशिद ने ट्वीट कर लिखा था कि युवा अमीराती मोहम्मद बिन राशिद अंतरिक्ष केंद्र से स्पेस मिशन के लिए पंजीकरण कराएं. हज्जा और सुल्तान भी 4,020 आवेदकों में से एक थे. चयन समिति ने 200 से अधिक उम्मीदवारों का चयन किया था. इनमें से 95 ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की साइकोमेट्रिक टेस्ट की सीरीज पास की. इन उम्मीदवारों पर यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर के विशेषज्ञों ने चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक परीक्षण किए गए. अंत में सिर्फ हज्जा-अल-मंसूरी और सुल्तान-अल-नेयादी का अंतिम चयन हुआ.

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