विश्व व्यापार सरलीकरण के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ बातचीत में आज कहा कि विश्व व्यापार संगठन (WTO) की बातचीत में भारत की खाद्य सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान निकाला जाना चाहिए. ओबामा से शिखर बैठक के बाद संयुक्त बयान दिए जाने के समय मोदी ने कहा, 'WTO के मुद्दे पर खुलकर बात हुई. हम व्यापार सरलीकरण का समर्थन करते हैं, पर साथ ही हम चाहते हैं कि हमारी खाद्य सुरक्षा चिंताओं का समाधान होना चाहिए और हम उम्मीद करते हैं कि ऐसा जल्द ही होगा.'
गौरतलब है कि जुलाई में जिनेवा में हुई WTO की बैठक में खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर भारत ने कड़ा रूख अपनाया था और डब्ल्यूटीओ के व्यापार सरलीकरण समझौते (TFA) का अनुमोदन करने से इंकार कर दिया था. इस समझौते को स्वीकार करने के लिए विकसित देश दबाव बनाये हुए हैं, हालांकि खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य से भारत के सार्वजनिक खाद्यान्न भंडारण के मुद्दे का स्थायी समाधान किये बिना वे ऐसा दबाव बना रहे हैं.
किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न की खरीदारी करने और उसे गरीबों को सस्ते दाम पर बेचने के मामले में WTO से कृषि सब्सिडी की गणना के तौर तरीकों में संशोधन करने को कहा है. WTO के मौजूदा नियमों में खाद्य सब्सिडी को खाद्यान्न उत्पादन के कुल मूल्य का 10 फीसदी पर सीमित किया गया है. इसके साथ ही सब्सिडी की गणना दो दशक पहले के मूल्य पर करने का प्रावधान है. भारत खाद्य सब्सिडी की गणना के लिये खाद्यान्न मूल्य के आधार वर्ष 1986-88 को बदलने की मांग कर रहा है.
भारत चाहता है कि सब्सिडी गणना में विभिन्न पहलुओं, जैसे मुद्रास्फीति और मुद्रा की घटबढ़, को ध्यान में रखते हुए आधार वर्ष में बदलाव किया जाना चाहिये. ऐसी आशंका है कि जैसे ही भारत अपने खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को पूरी तरह लागू करेगा सब्सिडी का आंकडा WTO द्वारा निर्धारित 10 फीसदी की सीमा से अधिक हो जाएगा. ऐसा होने पर WTO का कोई सदस्य देश अगर भारत के खिलाफ शिकायत करता है तो भारत पर भारी जुर्माना लग सकता है.
मोदी ने कहा, 'WTO की बाली में हुई मंत्रिस्तरीय बैठक में काफी खुलकर चर्चा हो चुकी है, भारत व्यापार सरलीकरण का समर्थन करता है. लेकिन, मुझे उम्मीद है कि हम एक ऐसा समाधान ढूंढने में सफल होंगे जो कि खाद्य सुरक्षा पर हमारी चिंताओं को दूर करेगा. मेरा मानना है कि यह जल्द करना संभव है.'
बैठक के दौरान आर्थिक मुद्दों पर काफी जोर रहा. मोदी ने कहा, 'राष्ट्रपति और मैंने हमारी कई साझा आर्थिक प्राथमिकताओं पर बात की. मुझे पूरा विश्वास है कि भारत तीव्र आर्थिक वृद्धि हासिल करेगा और उसमें काफी बदलाव दिखेगा. हम भारत में केवल नीतियों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं बल्कि प्रक्रियाओं पर भी गौर कर रहे हैं ताकि भारत में कामकाज करना आसान और उत्पादक बने.'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'लगातार खुलापन और भारतीय सेवा क्षेत्र की कंपनियों के लिये अमेरिकी बाजार में सरल पहुंच के मामले में राष्ट्रपति ओबामा का भी समर्थन मुझे मिला है.' दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर विचार-विमर्श और नजदीकी से सहयोग करने पर सहमति जताई. यह क्षेत्र दोनों के लिए ही अहम् प्राथमिकता वाला है.