भारतीय मछुआरे की कराची जेल में हुई मौत ने दोनों देशों के बीच कैदियों की रिहाई की समस्या को एक बार फिर से उजागर कर दिया है. 2022 में पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किए गए मछुआरे बाबू की गुरुवार को कराची जेल में मौत हो गई. बाबू की सजा तो पहले ही पूरी हो चुकी थी, लेकिन उन्हें रिहा नहीं किया गया.
भारत सहित अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बार-बार जेल में बंद भारतीय मछुआरों की रिहाई की मांग उठती रही है. यह कोई पहली घटना नहीं है. बाबू से पहले पिछले दो वर्षों में सात अन्य भारतीय मछुआरों की भी पाकिस्तान में मौत हो चुकी है. बाबू जैसे 180 अन्य भारतीय मछुआरे भी पाकिस्तानी जेलों में बंद हैं और वे अपने दिन गिन रहे हैं. भारत की सरकार लगातार पाकिस्तानी शासन से उनके शीघ्र रिहाई की अपील कर रही है.
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कराची जेल में पहले भी हुई मछुआरे की मौत
पिछले अप्रैल में महाराष्ट्र के विनोद लक्ष्मण कोल का निधन भी इसी तरह की घटना में हुआ था. अक्टूबर 2022 में पाकिस्तानी जलमार्ग में अवैध प्रवेश के आरोप में गिरफ्तार किए गए कोल को कराची जेल में रखा गया था. वहां उन्हें 8 मार्च को लकवा का दौरा पड़ा और 17 मार्च को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी.
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10 साल में स्वदेश लाए गए 2,639 मछुआरे
विदेश मंत्रालय ने दिसंबर 2024 में जारी एक बयान में कहा कि पाकिस्तानी जेलों में कुल 209 भारतीय मछुआरे बंद हैं. इनमें से 51 मछुआरे 2021 के बाद से, 130 वर्ष 2022 से, नौ 2023 से और 19 मछुआरे 2024 में कैद किए गए हैं. पिछले दस वर्षों में, 2,639 भारतीय मछुआरों को पाकिस्तान से भारत में वापस लाया गया है.