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OBOR बैठक का बहिष्कार करेगा भारत, कहा- संप्रभुता के उल्लंघन वाला प्रोजेक्ट स्वीकार नहीं

चीन की बेहद महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट 'वन बेल्ट वन रोड' पर राजधानी बीजिंग में रविवार से शुरू हो रहे बेल्ट एंड रोड फोरम (BRF) सम्मेलन का भारत बहिष्कार करेगा. शनिवार देर रात जारी एक आधिकारिक बयान भारत ने साफ तौर पर कहा है कि वह ऐसी किसी परियोजना को स्वीकार नहीं कर सकता, जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता हो.

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चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ पीएम मोदी की फाइल फोटो
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ पीएम मोदी की फाइल फोटो

चीन की बेहद महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट 'वन बेल्ट वन रोड' पर राजधानी बीजिंग में रविवार से शुरू हो रहे बेल्ट एंड रोड फोरम (BRF) सम्मेलन का भारत बहिष्कार करेगा. शनिवार देर रात जारी एक आधिकारिक बयान भारत ने साफ तौर पर कहा है कि वह ऐसी किसी परियोजना को स्वीकार नहीं कर सकता, जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता हो.

चीन की राजधानी में फोरम की बैठक शुरू होने के कुछ घंटे पहले सख्त शब्दों वाले बयान में भारत ने कहा है कि संपर्क पहल इस तरह की होनी चाहिए जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने एक बयान में कहा, मामले में अपने सैद्धांतिक रुख से निर्देशित, हम चीन से उसकी संपर्क पहल वन बेल्ट वन रोड पर उपयोगी वार्ता में भागीदारी का आग्रह करते हैं, जिसका नाम बाद में बेल्ट एंड रोड पहल किया गया. हम चीन की तरफ से सकारात्मक जवाब का इंतजार कर रहे हैं.

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बागले ने कहा, BRI-OBOR की महत्वपूर्ण परियोजना के तौर पर पेश किए जा रहे कथित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा के संबंध में अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत के रुख से अच्छी तरह अवगत है. कोई भी देश ऐसी परियोजना स्वीकार नहीं सकता जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर उसकी मूल चिंताओं को दरकिनार करे.

बता दें कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) पर भारत की गहरी आपत्ति है. दरअसल सीपीईसी गिलगिट और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के बालटिस्तान से होकर गुजरता है. भारत PoK सहित समूचे जम्मू कश्मीर राज्य को अपना अखंड हिस्सा मानता है. सीपीईसी चीन की विशिष्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की महत्वपूर्ण परियोजना है और राजधानी बीजिंग में दो दिनों तक चलने वाली बैठक में इस परियोजना के प्रमुखता से उठने की संभावना है.

गौरतलब है कि बीजिंग में होने जा रहे BRF सम्मेलन में 29 राष्ट्र और सरकार प्रमुख हिस्सा लेंगे. इनमें पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शामिल होंगे, जबकि दक्षिण कोरिया, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन समेत कई अन्य देशों ने इस सम्मेलन में शिरकत करने के लिए मंत्रिस्तरीय या आधिकारिक शिष्टमंडल नियुक्त किए हैं. यह चीन द्वारा की गई भारी कूटनीतिक लॉबिंग का नतीजा है, लेकिन भारत से इतर अन्य देशों को वन बेल्ट, वन रोड की पहल के साथ संप्रभुता से जुड़ी कोई आपत्ति नहीं है.

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योजना में CPEC के महत्व को देखते हुए, ऐसी उम्मीद है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अपने देश के लिए गेमचेंजर इस पहल के महत्व को रेखांकित करने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे. मौजूदा समय में एकमात्र ऐसी परियोजना है, जिसमें जल्द परिणाम देने की संभावना है. वह संभवत: सबसे बड़े शिष्टमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें चार मुख्यमंत्री और पांच संघीय मंत्री हैं. चाइना-पाकिस्तान फ्रेंडशिप एसोसिएशन के अध्यक्ष शा जुकांग ने आधिकारिक मीडिया को बताया कि चीन पाकिस्तान में ऊर्जा और अवसंरचना से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं के लिए 46 अरब डॉलर के निवेश का वादा कर चुका है.

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