लद्दाख की देपसांग घाटी में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीन की सेना) द्वारा घुसपैठ किए जाने के कारण भले ही भारत और चीन के बीच तनातनी चल रही हो, लेकिन दूसरी ओर दोनों देशों ने वर्ष के अंत तक आतंकवाद निरोधी संयुक्त अभ्यास की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है.
साथ ही ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन द्वारा बांध बनाए जाने को लेकर नई दिल्ली की चिंताओं का समाधान करने के लिए अगले सप्ताह दोनों देशों के अधिकारियों के बीच नदी के जल के मामले पर बातचीत होनी है. इसके अलावा 9 मई को विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की बीजिंग यात्रा से पहले दोनों के बीच सरल वीजा प्रणाली मामले पर भी बातचीत होगी.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस सप्ताह ब्रिगेडियर वाई. के. जोशी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने छेंगदू स्थित सैन्य ब्रिगेड का दौरा किया. यह ब्रिगेड भारत से लगे तिब्बत और चीन की सीमा पर केन्द्रित है.
सूत्रों ने बताया कि उन्होंने चार वर्ष के अंतराल पर फिर से शुरू हो रहे अभ्यास की तैयारियों के बारे में बातचीत की.
भारतीय सैन्य प्रतिनिधिमंडल का यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि दोनों देशों के बीच चीनी सेना द्वारा लद्दाख के दौलत बेग ओल्दी में शिविर लगाए जाने को लेकर स्थिति असहज है. भारत इसे अपनी सीमा में घुसपैठ मान रहा है और उसने चीन से पुरानी स्थिति कायम करने को कहा है.
दूसरी ओर चीन ने अपनी सेना द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा के उल्लंघन से इनकार किया है. खुर्शीद की यात्रा से पहले दोनों देश इस मुद्दे को सुलझाने में जुटे हुए हैं. शुरुआती दौर की प्रतिक्रिया के बाद भारत और चीन ने इन मतभेदों के महत्व को कम करते हुए कहा कि इन्हें सुलझाने की कोशिश जारी है.
खुर्शीद की बीजिंग यात्रा के बाद चीन के नए प्रधानमंत्री ली क्विंग अगले महीने के अंत तक नई दिल्ली जाएंगे. बतौर प्रधानमंत्री ली की यह पहली विदेश यात्रा होगी.
सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को समाप्त हुई ब्रिगेडियर जोशी के प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान सिर्फ संयुक्त अभ्यास की तैयारियों पर बातचीत की गई. उनके बीच लद्दाख मुद्दे पर बातचीत नहीं हुई क्योंकि यह मुद्दा दोनों देशों की सीमा सलाहकार समिति के पास है.
भारतीय सैन्य प्रतिनिधिमंडल ने अभ्यास में भाग लेने वाले सैनिकों आदि के संबंध में बातचीत की. उन्होंने अभ्यास के लिए नियत स्थान का भी दौरा किया.