भारत में जन्मीं हार्वर्ड की अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का मुख्य अर्थशास्त्री बनाया गया है. गोपीनाथ मॉरिस ऑब्सफेल्ड की जगह लेंगी जो साल 2018 के अंत में रिटायर होंगे. आईएमएफ दुनिया में वित्तीय और अर्थशास्त्र के मामलों पर काम करने वाली एक वैश्विक संस्था है.
आईएमएफ के सर्वोच्च इकोनॉमिस्ट पद पर चुने जाने के बाद गोपीनाथ का एक बयान काफी सुर्खियों में है. कभी उन्होंने भारत में नोटबंदी की कड़े शब्दों में आलोचना की थी. उनकी वे बातें अब काफी वायरल हो रही हैं. एक इंटरव्यू में गोपीनाथ ने कहा था कि कोई बड़ा अर्थशास्त्री नोटबंदी को जायज नहीं ठहरा सकता. गोपीनाथ ने यह भी कहा था कि सभी नकदी न तो कालाधन होता है और न तो भ्रष्टाचार.
गोपीनाथ ने यह भी कहा था कि किसी विकासशील देश के लिए नोटबंदी काफी कड़ा फैसला है. यह खतरनाक होने के साथ-साथ हानिकारक भी है जो कुछ सेक्टर में स्थायी क्षति ला सकता है.
गीता गोपीनाथ फिलहाल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. गोपीनाथ ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन से एमए किया है. गोपीनाथ ने प्रिंसटन विश्विद्यालय से 2001 में अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री हासिल की. उसी साल उन्होंने शिकागो यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम शुरू कर दिया. साल 2005 से वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ा रही हैं.
गीता का जन्म कर्नाटक के मैसूर में हुआ था. गीता के दादा गोविंद नांबिआर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े समर्थक थे. उनकी दादी भी वामपंथी नेता ऐके गोपालन की रिश्तेदार थीं. गीता ने लेडी श्रीराम से बीए की पढ़ाई की और फिर अर्थशास्त्र में एमए के लिए दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में दाखिल हुईं. गीता के पति का नाम इकबाल धालीवाल है जो इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट हैं और 1995 बैच के आईएएस टॉपर हैं. इकबाल आईएएस की नौकरी छोड़ प्रिंसटन पढ़ने चले गए थे. गीता अपने पति और एक बेटे से साथ अमेरिका के कैंब्रिज में रहती हैं.
उनकी नियुक्ति की घोषणा करते हुए आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लेगार्दे ने कहा कि गोपीनाथ दुनिया के उत्कृष्ट अर्थशास्त्रियों में से एक हैं और उनका पिछला रिकॉर्ड बेहद शानदार है और उन्हें वृहद अंतरराष्ट्रीय अनुभव भी हासिल है.