भारत में हिजाब का मुद्दा गर्माया हुआ है. जहां एक तरफ लोग कह रहे हैं कि शिक्षण संस्थानों में हिजाब नहीं बल्कि यूनिफॉर्म पहनकर आना चाहिए, वहीं कुछ लोग हिजाब पहनकर आने वाली लड़कियों के समर्थन में कह रहे हैं कि कोई क्या पहने, ये उसका व्यक्तिगत चुनाव है. फ्रांस में भी सिर को ढकने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हिजाब पर बहस छिड़ी हुई है. इसी बीच फ्रांस की जेंडर इक्वेलिटी मिनीस्टर (लैंगिक समानता मंत्री) ने गुरुवार को हिजाब पहनने की मांग करने वाली मुस्लिम महिला फुटबॉलरों का समर्थन किया है.
फ्रांस के फुटबॉल फेडरेशन के हाल के नियम के मुताबिक, प्रतिस्पर्धी मैचों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को मुस्लिम हिजाब या यहूदी किप्पा (सिर को ढकने वाली एक टोपी) जैसे धार्मिक प्रतीकों को पहनने की मनाही है.
इस नियम के कारण मुस्लिम महिला फुटबॉलर हिजाब नहीं पहन पा रही हैं लेकिन वो लगातार ये मांग कर रही हैं कि उन्हें हिजाब पहनकर खेलने की अनुमति दी जाए.
Les Hijabeuses नामक एक महिला संगठन ने नवंबर में नियमों को कानूनी चुनौती दी थी. उनका दावा था कि ये नियम भेदभावपूर्ण हैं और अपने धर्म का पालन करने के लड़कियों के अधिकार का उल्लंघन करते हैं.
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, फ्रांस की लैंगिक समानता मंत्री एलिजाबेथ मोरेनो भी लड़कियों के मांग को जायज बताते हुए इस नियम को हटाने की मांग कर रही हैं. फ्रांस की LCI टीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'कानून कहता है कि ये लड़कियां हिजाब पहन सकती हैं और फुटबॉल खेल सकती हैं. फुटबॉल पिचों पर सिर पर स्कार्फ बांधना मना नहीं है. मैं चाहती हूं कि कानून का सम्मान किया जाए.'
फ्रांस में राष्ट्रपति चुनावों में दो महीने बाकी हैं. फ्रांस धर्मनिरपेक्षता का सख्ती से पालन करता है और सरकार की हमेशा ये कोशिश होती है कि वो धर्म और देश को अलग रखे. ऐसे में ये मुद्दा देश में चर्चा का विषय बना हुआ है.
खेलों में धार्मिक प्रतीकों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाने की भी हुई कोशिश
फ्रांसीसी संसद के ऊपरी सदन सीनेट में दक्षिणपंथी रिपब्लिकन पार्टी का वर्चस्व है. पार्टी ने जनवरी में एक कानून का प्रस्ताव रखा था जिसमें सभी प्रतिस्पर्धी खेलों में स्पष्ट धार्मिक प्रतीकों के पहनने पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी.
बुधवार को इसे निचले सदन नेशनल एसेंबली में खारिज कर दिया गया. निचले सदन में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की मध्यमार्गी रिपब्लिक पार्टी और उनके सहयोही पार्टियों के पास बहुमत है.
सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध
फ्रांस का धर्मनिरपेक्षता कानून सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है. इसमें सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक प्रतीकों को पहनने पर प्रतिबंध लगाने पर कोई प्रावधान नहीं है. लेकिन लोग सार्वजनिक स्थानों पर चेहरे को पूरी तरह से ढककर नहीं रह सकते.
साल 2010 में फ्रांस की सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर हर वो चीज पहनने से रोक लगा दी थी जिससे व्यक्ति का चेहरा पूरी तरह से छिप जाता हो. इस प्रतिबंध का असर मुस्लिम महिलाओं के बुर्का पर भी हुआ और सार्वजनिक स्थानों पर उनके बुर्का पहनने को प्रतिबंधित कर दिया गया.
फ्रांस के सरकारी स्कूलों में भी धार्मिक प्रतीकों के पहनने पर मनाही है. साल 2004 में सरकार ने मुस्लमानों के हिजाब और ईसाइयों के क्रॉस पहनकर स्कूल में आने पर रोक लगा दी थी.