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उस जंग की कहानी जब राजा का सिर काट ले गए फ्रेंच सैनिक, 128 साल बाद फ्रांस ने लौटाई 3 खोपड़ियां!

बीच समंदर में स्थित मेडागास्कर लालची यूरोप की साम्राज्यवादी निगाहों से दूर एक मनोरम टापू था. लेकिन 18वीं सदी में जब यूरोपीय ताकतें अपनी सीमाओं का विस्तार करने के लिए समंदर की यात्रा पर थीं इसी दौरान उनके कदम इस द्वीप पड़े. पश्चिमी शक्तियों के कदम इस द्वीप पर क्या पड़े, यहां के स्थानीय लोगों की सुकून भरी जिंदगी में बवंडर आ गया.

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फ्रांस-मेडागास्कर के बीच ये लड़ाई 30 अगस्त 1897 को हुई थी. (Photo: Reuters)
फ्रांस-मेडागास्कर के बीच ये लड़ाई 30 अगस्त 1897 को हुई थी. (Photo: Reuters)

एक लड़ाई हुई थी. 128 साल पहले. इस जंग में एक पक्ष ने दूसरे के राजा का सिर ही काट दिया और इस कटे सिर को जीत की ट्राफी के रूप में अपने देश ले गए. इतिहास का ये निर्णायक युद्ध हुआ था फ्रांस और मेडागास्कर के बीच. इस युद्ध में फ्रांसीसी सैनिकों ने मेडागास्कर के राजा का सिर ही काट दिया था.   

हिंद महासागर की गोद में अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित मेडागास्कर द्वीप पर हुई इस लड़ाई की चित्कार को स्थानीय जनजातियों ने आज भी अपनी यादों में सजों कर रखा है. ये जंग औपनिवेशिक विस्तार, सांस्कृतिक टकराव और स्थानीय प्रतिरोध की एक जटिल कहानी है.

मेडागास्कर की कहानी हम बताए इससे पहले आप जान लें कि फ्रांस ने 128 वर्ष बाद वो तीन मानव खोपड़ियां मेडागास्कर को लौटा दी है. इतने सालों से ये खोपड़ियां पेरिस संग्रहालय में रखी गई थीं. माना जाता है कि इसमें से एक खोपड़ी राजा टोयरा की है. फ़्रांस ने 1897 में मेडागास्कर में भयानक जनसंहार किया था, इस दौरान राजा को भी मार दिया गया था. उसी जनसंहार से तीन खोपड़ियों को विजय प्रतीक के रूप में फ़्रांस ले जाया गया था. 

1897 जंग की कहानी

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मेडागास्कर, गजब की जैव विविधता, जीवंत संस्कृतियों, माइग्रेशन, व्यापार और संघर्ष की लहरों से गढ़ा गया देश है. दुनिया के चौथे सबसे बड़े द्वीप मेडागास्कर के औपनिवेशिक अतीत को समझे बिना इसके वर्तमान को समझना मुश्किल है.

19वीं सदी की शुरुआत में मेडागास्कर का अधिकांश भाग स्थानीय मेरिना साम्राज्य के अधीन था. इसका नेता रदामा I नाम का राजा था. इस राजा ने ब्रिटिश साम्राज्यवादियों से दोस्ती की और ईसाई धर्म का प्रसार किया. बाद में उनकी विधवा रानावालोना I ने विदेशी हस्तक्षेप का विरोध किया लेकिन उनके निधन के बाद मेडागास्कर के यूरोप के साथ फिर से संबंध स्थापित हुए. 

1895 में फ्रांसीसी सेना ने मेडागास्कर की राजधानी तानानारिव पर कब्जा कर लिया. रानी को एक संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया. 

इस समय जनरल जोसेफ गैलिएनी मेडागास्कर में फ्रेंच कमांडर था. उसने  मेडागास्कर पर अपना नियंत्रण मजबूत करने की कोशिश की जिसे वह हिंद महासागर में एक रणनीतिक चौकी मानता था.

1897 में गैलिएनी ने मेरिना साम्राज्य की अंतिम शासक रानी रानावलोना III को हटा दिया और मालागासी राजतंत्र को समाप्त कर दिया. इसी के साथ मेडागास्कर फ्रांस का उपनिवेश बन गया. 

दमन के इस दौर में व्यापक हिंसा देखी गई, जिसमें कुख्यात अम्बिकी नरसंहार भी शामिल था, जिसमें राजा टोएरा और उनके कई लोगों की जान चली गई थी. 

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राजा टोएरा मेडागास्कर के मेनाबे क्षेत्र में सकलावा लोगों के एक सम्मानित नेता थे. उन्होंने अपनी आजादी बनाए रखने और विदेशी प्रभुत्व का विरोध किया. हालाकि उनके प्रतिरोध ने उन्हें फ्रांसीसी औपनिवेशिक ताकतों का निशाना बना दिया. फ्रांस पश्चिमी मेडागास्कर पर अपने नियंत्रण में इस राजा को एक बाधा मानते थे.

टॉक अफ्रीकाना डॉट कॉम नाम की अफ्रीकी वेबसाइट के अनुसार अम्बिकी नरसंहार 29-30 अगस्त 1897 की रात को फ्रांसीसी सैन्य अभियान के दौरान हुआ था. राजा टोएरा की बातचीत करने की इच्छा और हथियार डालने के उनके फैसले के बावजूद ऑगस्टिन गेरार्ड की कमान में फ्रांसीसी सैनिकों ने अम्बिकी गांव पर अचानक हमला कर दिया. यह हमला क्रूर और बेलिहाज था. इसके परिणामस्वरूप राजा टोएरा और अन्य सकलावा नेताओं सहित हजारों लोग मारे गए.

फ्रांसीसी सेना ने इस जंग को जायज ठहराने के लिए वही तर्क दिया जो साम्राज्यवादी ताकतें सालों से देती आ रही थीं. फ्रांस ने कहा कि विद्रोह को दबाने और क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह अभियान आवश्यक था. इस जंग में मरने वालों की संख्या 2,500 थी. 

साम्राज्यवादी उन्माद में डूबी फ्रांस की सेना ने इस जंग में राजा टोएरा का सिर काट लिया और उनकी खोपड़ी अपने साथ ले गए. 

 'हृदय में एक खुले घाव जैसी थीं ये खोपड़ियां'

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अल जजीरा ने अपनी एक रिपोर्ट में फ्रांस की संस्कृति मंत्री रचिदा दाती के हवाले से लिखा है, "ये खोपड़ियां राष्ट्रीय संग्रहालय में ऐसे हालात में शामिल हुईं जो स्पष्ट रूप से मानवीय गरिमा का उल्लंघन करती थीं और औपनिवेशिक हिंसा को दर्शाती थीं."

मेडागास्कर की मंत्री वोलामिरांती डोना मारा ने इन खोपड़ियों को भेजे जाने की प्रशंसा की है और कहा, "एक सदी से भी ज़्यादा यानी 128 वर्षों से ये खोपड़ियां हमारे द्वीप के हृदय में एक खुले घाव जैसी थीं." 

मारा ने कहा, "ये संग्रह की जाने वाली वस्तुएं नहीं हैं; ये अदृश्य और अमिट कड़ी हैं जो हमारे वर्तमान को हमारे अतीत से जोड़ती हैं."

दाती ने बताया कि एक संयुक्त वैज्ञानिक समिति ने पुष्टि की है कि ये खोपड़ियां सकलावा लोगों की थीं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वे केवल यह 'अनुमान' लगा सकते हैं कि इनमें से एक खोपड़ी राजा तोएरा की थी. 

128 साल बाद अंतिम संस्कार

ये खोपड़ियां रविवार को हिंद महासागर द्वीप पर वापस आएंगी, जहां उन्हें 128 साल बाद फिर से दफनाया जाएगा. मेडागास्कर सरकार की मंत्री मारा ने कहा कि जिस दिन फ्रांसीसी सेना ने हमारे राजा की हत्या की थी 128 साल बाद उसी दिन उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी. 

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गौरतलब है कि अप्रैल में मैडागास्कर की राजधानी एंटानानारिवो की यात्रा के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रॉ ने मैडागास्कर के “खूनी और दुखद” औपनिवेशीकरण के लिए “क्षमा” मांगने की बात कही थी. मैडागास्कर को 1960 में फ्रांस से स्वतंत्रता मिली थी. 

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