जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की भारत यात्रा पर चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र समझे जाने वाले अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख छापा है. अखबार ने लिखा है कि जापान की लॉबी भारत को रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस की आलोचना करने के लिए मना पाने में नाकामयाब रही है. भारत-जापान के संयुक्त बयान पर भी ग्लोबल टाइम्स ने टिप्पणी की है.
'भारत को मनाने में नाकामयाब रहे जापानी प्रधानमंत्री'
अखबार ने लिखा है कि क्वाड में अपने सदस्य देश भारत को मनाने में जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा नाकामयाब रहे. ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट में लिखा गया, 'जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के दौरान क्वॉड साझेदारों अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की तरह यूक्रेन संकट पर भारत को एक समान रुख अपनाने के लिए मनाने में विफल रहे. बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में रूस का उल्लेख तक नहीं किया गया, रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की बात तो छोड़ ही दीजिए.'
क्वॉड देशों अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का जिक्र करते हुए ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि जापान की लॉबिंग अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी. ये तीनों ही देश मिलकर भारत को रूस की निंदा करने के लिए मना नहीं पाए हैं.
भारत-जापान के संयुक्त बयान पर बोला ग्लोबल टाइम्स
संयुक्त बयान में भारत और जापान के प्रधानमंत्रियों ने रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते उत्पन्न मानवीय संकट पर अपनी चिंता व्यक्त की और भारत-प्रशांत क्षेत्र में इस युद्ध के प्रभावों का आकलन किया. दोनों देशों ने तत्काल हिंसा को समाप्त करने पर जोर देते हुए कहा कि संघर्ष के समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.
दोनों देशों के संयुक्त बयान पर ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, 'विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-जापान का ये बयान न केवल ये दर्शाता है कि भारत एक स्वतंत्र राजनयिक नीति का पालन कर रहा है, बल्कि भारत और अन्य तीन क्वॉड देशों के बीच रूस के प्रति असहमति को भी उजागर करता है. विशेषज्ञों का मानना है कि असहमति सार्वजनिक हो गई है और क्वॉड देशों के बीच और दरारें पैदा होंगी जो संकेत देती हैं कि क्वॉड का प्रभाव कमजोर है.'
अखबार ने लिखा कि यूक्रेन पर हमले को लेकर जहां एक तरफ क्वॉड देश अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया रूस के अरबपतियों और संगठनों पर कड़े प्रतिबंध लगा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ क्वॉड सदस्य भारत ने अब तक रूस की आलोचना तक नहीं की है. भारत बिना रूस का नाम लिए दोनों पक्षों से हिंसा
रोकने की बात कहता आया है. भारत पर अमेरिका का दबाव भी है कि वो रूस की निंदा करे लेकिन अभी तक भारत ने मुद्दे पर निष्पक्ष रुख अपनाए रखा है.
इस संदर्भ में ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, 'भारत ने यूक्रेन संकट के मद्देनजर अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की तरह रूस पर प्रतिबंध नहीं लगाया. इससे क्वॉड के ये तीनों देश चिंतित हो गए. भारत के इस फैसले ने क्वॉड मोर्चे की नींव हिला दी है.
शिंहुआ विश्वविद्यालय के नेशनल स्ट्रेटजी इंस्टिट्यूट में रिसर्च डिपार्टमेंट के डायरेक्टर कियान फेंग ने ग्लोबल टाइम्स ने बातचीत में कहा कि जापानी लॉबिंग अमेरिका की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी. जब अमेरिका भी भारत को यूक्रेन संकट में अपने पक्ष में करने में नाकामयाब रहा तो जापान की बात तो छोड़ ही दीजिए.'
कियान ने कहा है कि क्वॉड को इसलिए बनाया गया है कि चीन को निशाना बनाया जाए लेकिन ये बात स्पष्ट हो गई है कि भारत के लिए उसके राष्ट्रीय हित सबसे ऊपर हैं. उन्होंने कहा, 'भले ही क्वॉड गठबंधन का एक साझा लक्ष्य है, लेकिन भारत हर मुद्दे पर उनकी बात नहीं सुनेगा.'
कियान ने आगे कहा, 'अमेरिका चाहता है कि क्वॉड के अन्य तीन देश पूरी तरह से आज्ञाकारी हों लेकिन भारत उसकी हर बात से सहमत नहीं होगा.'