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साल भर अंतरराष्ट्रीय मंच पर निंदा का शिकार होता रहा चीन, झेलनी पड़ी शर्मिंदगी

चीन के लिए सम्मान दृष्टि से साल 2017 मुश्किल भरा रहा. उसको सालभर अंतरराष्ट्रीय मंच पर निंदा का शिकार होना पड़ा. इसके चलते कई दफा चीन की बौखलाहट भी सामने आई.

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

दुनिया को तमाम खट्टी-मीठी यादें देने के बाद अब साल 2017 रवाना होने जा रहा है. इस साल किसी देश को वैश्विक स्तर पर सम्मान मिला, तो किसी को आलोचना झेलनी पड़ी. चीन के लिए सम्मान दृष्टि से साल 2017 मुश्किल भरा रहा. उसको सालभर अंतरराष्ट्रीय मंच पर निंदा का शिकार होना पड़ा.

इसके चलते कई दफा चीन की बौखलाहट भी सामने आई.

चीन तमाम कोशिशों के बावजूद इन मुश्किलों से अपना पीछा छुड़ाने में कामयाब नहीं हो सका. चाहे फिर दक्षिण चीन सागर विवाद रहा हो या फिर उत्तर कोरिया की मदद करने का मामला. चीन को जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर के मामले में और डोकलाम विवाद को लेकर भी वैश्विक मंच पर फजीहत झेलनी पड़ी.

इसके अलावा सुरक्षा परिषद के विस्तार में बाधा डालने को लेकर भी दुनिया के कई देशों ने चीन की भत्सर्गना की. अगर चीन के लिए सालभर की उपलब्धियों को लेकर संक्षेप में कहा जाए, तो यह साल उसके लिए अच्छा नहीं रहा. आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर किन मामलों पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन को आलोचना का शिकार होना पड़ा.....

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1. दक्षिण चीन सागर विवाद

दक्षिण चीन सागर (SCS) विवाद सालभर चीन के लिए समस्या का सबब बना रहा. प्रशांत महासागर में स्थित दक्षिण चीन सागर एक द्वीप समूह है. यह एक सीमांत सागर है, जिस पर चीन की तरह आस-पास के तमाम देश अपनी संप्रभुता का दावा करते हैं. हालांकि अमेरिका और भारत समेत कई देश चीन की संप्रभुता के इस दावे को खारिज करते हैं.

इसके बावजूद चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. वह यहां पर कृत्रिम द्वीप बना रहा है और लगातार सैन्य अभ्यास भी कर रहा है. इसको लेकर अमेरिका, वियतनाम और अन्य देशों की चीन के साथ तीखी बयानबाजी भी हो चुकी है. अमेरिका ने चीन को चुनौती देते हुए अपने युद्धपोत भी दक्षिण चीन सागर भेजे, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव भी पैदा गहरा.

2. डोकलाम विवाद

डोकलाम विवाद को चीन ने ही पैदा किया था, लेकिन जब दुनिया के सामने उसकी फजीहत होने लगी, तो वह बैकफुट पर आ गया. डोकलाम मसले को लेकर भारत और चीन के बीच करीब ढाई महीने तक गतिरोध चला है. हालांकि यहां भारत की कूटनीतिक जीत हुई और चीन को पीछे हटना पड़ा.

डोकलाम पठार पर भारत भूटान के दावे का पुरजोर समर्थन करता है. फिलहाल डोकलाम विवाद अस्थायी रूप से सुलझ गया है और दोनों देशों की सेनाएं अपनी-अपनी सीमाओं पर लौट गई हैं. इस विवाद को पैदा करके चीन को कोई फायदा नहीं हुआ, लेकिन इसने चीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा का पात्र जरूर बना दिया.

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3. मसूद अजहर का बचाव

पठानकोट आतंकी हमले के मास्टरमाइंड और जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को बचाने के चक्कर में भी इस साल चीन को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी. इस मामले को लेकर भारत और अमेरिका समेत कई देशों ने चीन की खुलकर आलोचना की. दरअसल, मसूद अजहर को भारत वैश्विक आतंकियों की सूची में शामिल कराने की लगातार कोशिश कर रहा है, लेकिन इसमें चीन अड़ंगा डाल रहा है.

चीन की अड़ंगेबाजी के चलते संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को आतंकियों की सूची में शामिल करने पर आम सहमति नहीं बन पा रही है. वह वीटो का दुरुपयोग करके मसूद अजहर को हर बार बचा लेता है. वो आतंकवाद के पनाहगाह और अपने दोस्त पाकिस्तान के कहने पर आतंकी मसूद अजहर को बचा रहा है.

4. सुरक्षा परिषद के विस्तार में अड़ंगा

सुरक्षा परिषद के सुधार और विस्तार को लेकर लंबे समय से मांग चल रही है, लेकिन इस साल इसको लेकर काफी जोरशोर से आवाज उठी. भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील समेत कई देशों ने इसके विस्तार को लेकर पहल भी की, लेकिन चीन अपनी अकड़बाजी के चलते इनकी कोशिशों पर पानी फेरता रहा.

चीन की अड़ंगेबाजी के चलते इस साल भी सुरक्षा परिषद का विस्तार नहीं हो पाया. वहीं, चीन की इस हरकत की सभी देशों ने एकसुर में आलोचना की. दरअसल, चीन सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर बेहद चिंतित है और इसी वजह से इसके विस्तार का विरोध कर रहा है. उसको लगता है कि अगर भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता मिल गई, तो उसके लिए मुश्किल पैदा हो जाएगी.

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5. उत्तर कोरिया का समर्थन

उत्तर कोरिया के साथ याराना रिश्ते रखने की वजह से चीन को पूरे साल अमेरिका समेत कई देशों के कटाक्ष का सामना करना पड़ा. उत्तर कोरिया लगातार परमाणु और मिसाइल परीक्षण कर रहा है. इस बार तो उसने हद ही कर दी. इसको लेकर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने उत्तर कोरिया पर तमाम प्रतिबंध लगाए. हालांकि इस दौरान चीन उत्तर कोरिया की चोरी छिपे मदद करता रहा और जब इसका खुलासा हुआ, तो अमेरिका ने चीन पर करारा हमला बोला. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया की मदद करने को लेकर चीन की तीखी आलोचना की. इतना ही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन से साफ कहा कि वह उत्तर कोरिया पर लगाम लगाए.

6. NSG में भारत की सदस्यता पर अड़ंगा

भारत 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में शामिल होने की लगातार कोशिश कर रहा है, लेकिन चीन को इससे ऐतराज है. लिहाजा वह इस साल भी भारत को NSG में शामिल करने का विरोध करता रहा. हालांकि अमेरिका समेत कई देशों ने NSG के लिए भारत की सदस्यता का खुलकर समर्थन करते हैं.

चीन का कहना है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) में हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जिसके चलते वह इसकी सदस्यता के अयोग्य है. दिलचस्प यह है कि चीन इसके लिए पाकिस्तान की सदस्यता का समर्थन करता है और उसको भारत के समक्ष लाकर खड़ा करने की कोशिश कर रहा है.

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चीन की इस अड़ंगेबाजी के चलते भारत इस साल भी NSG में शामिल नहीं हो पाया, जिसको लेकर भी चीन को अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) का लक्ष्य परमाणु तकनीक और उपकरणों का निर्यात नियंत्रण करना है.

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