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भारत से बातचीत के बीच यूएन मिशन में अपनी तैनाती 4 गुना बढ़ाना चाहता है चीन

चीन के इस कदम का मकसद संयुक्त राष्ट्र मिशनों में चीनी प्रभाव को बढ़ाना है, जहां हमेशा से भारतीय सेना की मांग रही है और भारत सैन्य तैनाती के मामले में यूएन में सबसे ज्यादा योगदान देने वालों में से एक रहा है.

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यूएन मिशन में अपनी तैनाती 4 गुना बढ़ाना चाहता है चीन (फाइल फोटो)
यूएन मिशन में अपनी तैनाती 4 गुना बढ़ाना चाहता है चीन (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • संयुक्त राष्ट्र में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है चीन
  • चीन ने 8,000 अतिरिक्त सैनिकों को भेजने की योजना बनाई
  • संयुक्त राष्ट्र में चीन के 2,548 सैनिक तैनात

चीन संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में भारत के मुकाबले अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाने की ताक में है. चीन भारतीय सैनिकों की तुलना में अपने जवानों की संख्या दोगुनी करके संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है. फिलहाल भारत की तरफ से सेना के 5,424 सैनिक और अधिकारी हैं जो ग्राउंड पर और स्टाफ नियुक्तियों पर तैनात हैं.

सूत्रों ने बताया कि पिछले कई वर्षों से यूएन के मिशनों में भारतीय तैनाती चीन से ज्यादा रही है, लेकिन अब चीन ने 8,000 अतिरिक्त सैनिकों को भेजने की योजना बनाई है. फिलहाल यूएन में चीन के 2,548 सैनिक तैनात हैं.

प्रभाव बढ़ाना चाहता है चीन

यह संख्या न सिर्फ वर्तमान भारतीय तैनाती की तुलना में दोगुना होगी, बल्कि संयुक्त राष्ट्र मिशनों में सैन्य शक्ति के मामले में चीन का योगदान सबसे ज्यादा हो जाएगा.

साउथ सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के पहले नई दिल्ली में ट्रेनिंग लेते भारतीय सेना के जवान

चीन के इस कदम का मकसद संयुक्त राष्ट्र मिशनों में चीनी प्रभाव को बढ़ाना है, जहां हमेशा से भारतीय सेना की मांग रही है और भारत सैन्य तैनाती के मामले में यूएन में सबसे ज्यादा योगदान देने वालों में से एक रहा है.

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संयुक्त राष्ट्र के बजट में चीन का योगदान करीब 12 फीसदी है. ये अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा योगदान है. दूसरी ओर, यूएन बजट में भारत का योगदान सिर्फ 0.83 फीसदी है.  

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मौजूदा वक्त में संयुक्त राष्ट्र मिशनों में तैनाती के मामले में बांग्लादेश, इथियोपिया, रवांडा और नेपाल के बाद भारत पांचवें स्थान पर है, जबकि चीन नौवें स्थान पर है. इनमें से शीर्ष तीन देशों के 6,000 से अधिक सैन्यकर्मी यूएन में तैनात हैं. इसके बाद नेपाल के 5,714 और भारत के 5,424 सैनिक तैनात हैं.

साउथ सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के पहले नई दिल्ली में ट्रेनिंग लेते भारतीय सेना के जवान

चीन ने दक्षिण सूडान में पहली बार 2015 में संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत एक पूरी सैन्य बटालियन तैनात की थी. चीन दक्षिण सूडान और कांगो जैसे अफ्रीकी देशों में सैन्य तैनाती की तरफ देख रहा है जहां उसके अपने खास फायदे और निवेश हैं.

2016 की खबरों के अनुसार, दक्षिण सूडान में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने के बाद चीनी सैनिकों ने अपने पद छोड़ दिए थे. क्योंकि दो राजनीतिक समूहों के बीच झड़पों के दौरान उनकी पोस्ट पर हमला किया था जिसके बाद वे अपने बेस की तरफ लौट गए थे और हजारों नागरिकों की मदद करने में विफल रहे थे.

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यूएन मिशन में भारतीय सेना की मांग

पिछले वर्षों में संयुक्त राष्ट्र के 71 मिशनों में से 52 में भारत अपने 2 लाख सैनिकों को भेज चुका है. इन अभियानों में भारतीय सेना की लोकप्रियता बढ़ रही है और 2018 में पहली बार लेबनान में भारतीय सेना की बटालियन के  अंडर में अन्य देशों के सैनिकों ने सेवा देना शुरू किया. इंडियन आर्मी के साथ इस अभियान में कजाख सेना के 120 जवान भी शामिल थे.

भारतीय सैनिकों की एक नई टुकड़ी दक्षिण सूडान में जाने की तैयारी कर रही है. ये टुकड़ी अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद इस महीने के अंत तक एक साल के असाइनमेंट के लिए रवाना हो जाएगी.

इस नए बैच के साउथ सूडान रवाना होने से पहले एडिशनल डायरेक्टर स्टाफ ड्यूटी, मेजर जनरल एमके कटियार ने कहा, “अफ्रीका और मध्य पूर्व के आठ देशों में हमारे करीब 5,500 सैनिक हैं. वे संघर्ष वाले क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए अथक प्रयास करते हैं. उनके योगदान की सबने सराहना की है और शांति अभियानों के लिए भारतीय सैनिकों की सबसे ज्यादा मांग है.”

साउथ सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के पहले नई दिल्ली में ट्रेनिंग लेते भारतीय सेना के जवान

उन्होंने कहा, “ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारा विश्वास है कि पूरी दुनिया एक परिवार है. हमने बुनियादी ढांचे सहित नागरिक सहायता के लिए भी काम किया है. कोरोना महामारी के दौरान इन देशों में हमारे फील्ड अस्पतालों ने बहुत अच्छा काम किया है.”

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तैयारी के रूप में इन जवानों की इस बात की ट्रेनिंग दी जाती है कि क्षेत्र विशेष में वे किन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं. इसके अलावा उस क्षेत्र की स्थानीय भाषा भी सीखते हैं.

संयुक्त राष्ट्र के 13 मिशन में से आठ में भारतीय सेना शामिल है. इनमें से चार जगहों पर भारत की पैदल सेना की बटालियनों के जवान ग्राउंड ​ड्यूटी के लिए तैनात हैं.

भारतीय सेना संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों के लिए लेबनान, साउथ सूडान, कांगो और गोलन हाइट्स में अपनी सेना भेजती है.भारतीय सेना की महिला अधिकारी भी स्टाफ अप्वाइंटमेंट का हिस्सा रही हैं और फिलहाल 104 स्टाफ ऑफिसर में से करीब 15 महिलाएं मिशन पर तैनात हैं.

इस साल की शुरुआत में भारतीय सेना की मेजर सुमन गवानी को प्रतिष्ठित 'यूनाइटेड नेशंस मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड' से सम्मानित किया गया था. उन्होंने 2019 में साउथ सूडान (UNMISS) में संयुक्त राष्ट्र मिशन के साथ बतौर शांतिदूत काम ​किया था.

 

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