पहले अमेरिका ने दावा किया और अब चीन कह रहा है कि उसने इस वर्ष भारत-पाकिस्तान जंग में मध्यस्थता की है. चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को कहा कि "भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव" उन हॉटस्पॉट मुद्दों की लिस्ट में शामिल था जिनमें इस साल चीन ने "मध्यस्थता" की है.
बीजिंग में अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों और चीन के विदेश संबंधों पर सिम्पोज़ियम में बोलते हुए वांग ने कहा, "इस साल दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद से किसी भी समय की तुलना में लोकल युद्ध और सीमा पार संघर्ष ज़्यादा बार भड़के हैं. भू-राजनीतिक उथल-पुथल फैलती रही."
उन्होंने आगे कहा, "लंबे समय तक चलने वाली शांति बनाने के लिए हमने एक निष्पक्ष और सही रुख अपनाया है."
वांग ने कहा कि दुनिया में संघर्ष और अस्थिरता तेजी से बढ़े हैं. इस साल दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद से किसी भी समय की तुलना में स्थानीय युद्ध और सीमा पार संघर्ष ज़्यादा बार भड़के. भू-राजनीतिक उथल-पुथल फैलती रही.
वांग ने कहा कि चीन ने अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने में "निष्पक्ष और सही रुख" अपनाया है.
वांग ने आगे कहा, "विवाद के मुद्दों को सुलझाने के लिए इस चीनी तरीके को अपनाते हुए हमने उत्तरी म्यांमार, ईरानी परमाणु मुद्दे, पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव, फिलिस्तीन और इजरायल के बीच मुद्दों और कंबोडिया और थाईलैंड के बीच हालिया संघर्ष में मध्यस्थता की."
वांग की यह टिप्पणी 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुए सैन्य टकराव के महीनों बाद आई है. भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. भारत ने इस दौरान पाकिस्तान के कई आतंकी कैंपों को ध्वस्त कर दिया था और उसके एयर बेस को निशाना बनाया था.
तीसरे पार्टी की मध्यस्थता को भारत ने खारिज किया
भारत ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीजफायर कायम करने में तीसरे पार्टी की मध्यस्थता को हमेशा से खारिज करता आया है. भारत ने लगातार कहा है कि चार दिन का टकराव किसी बाहरी शक्ति की दखलंदाजी के बिना, सीधे मिलिट्री-टू-मिलिट्री बातचीत से सुलझाया गया था. 13 मई को एक प्रेस ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय ने बाहरी मध्यस्थता के दावों को खारिज कर दिया.
13 मई को भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था, "देखिए, समझौते की खास तारीख, समय और शब्दों की बात है तो... दोनों देशों के DGMOs ने 10 मई 2025 को 15:35 बजे अपनी फ़ोन कॉल पर बात की थी."
नई दिल्ली ने बार-बार कहा है कि भारत और पाकिस्तान के मामलों में किसी तीसरे पक्ष के दखल की कोई गुंजाइश नहीं है, यह रुख भारत ने दशकों से बनाए रखा है.
ऑपरेशन सिंदूर में चीनी हथियारों के दम पर फूलता रहा पाकिस्तान
चीन भले ही ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मध्यस्थता का दावा करता रहा हो. लेकिन सच्चाई यह है कि इस जंग में चीन की भूमिका सवालों के घेरे में रही है. इस जंग में चीन द्वारा पाकिस्तान को हथियारों की सप्लाई को लेकर सवाल उठे हैं. चीन पाकिस्तान को हथियार सप्लाई करने वाला सबसे बड़ा देश है, जो मिलिट्री इक्विपमेंट का 81 परसेंट से ज़्यादा हिस्सा सप्लाई करता है.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने बड़ी मात्रा में चीनी हथियारों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया. अमेरिका की कांग्रेस की एक समिति यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत-पाकिस्तान के बीच हुए चार दिन के संघर्ष के दौरान चीन के हथियारों का इस्तेमाल लैब की तरह हुआ.
रिपोर्ट के अनुसार यह पहली बार था जब चीन के आधुनिक हथियारों, जैसे HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम, PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइल और J-10 फाइटर जेट को असली युद्ध में इस्तेमाल किया गया. इसके अलावा चीन ने पाकिस्तान को भारतीय सेना से जुड़े लाइव इनपुट भी दिए.
भारतीय वायुसेना ने चीन के मिसाइल PL-15 को भारतीय सीमा के अंदर मार गिराया था. ये मिसाइल भारत को कोई भी नुकसान पहुंचाने में नाकाम रहा.
भारतीय मिलिट्री अधिकारियों ने चीन पर आरोप लगाया कि उसने इस संघर्ष का इस्तेमाल अपने रणनीतिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए किया. डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने कहा था कि बीजिंग ने इस टकराव को एक "लाइव लैब" की तरह इस्तेमाल किया. और चीन ने ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान को बड़े पैमाने पर सपोर्ट दिया.