अमेरिका की बोइंग (Boeing) कंपनी अपने जंबो जेट Boeing-747 की आखिरी डिलीवरी कल करने जा रही है. इसे 'आसमान की रानी' के नाम से भी जाना जाता है. इसके आखिरी मालवाहक (freighter) प्लेन की डिलीवरी मंगलवार को एटलस एयर (Atlas Air) कंपनी को की जाएगी. इसके शुरू होने के 53 साल बाद कंपनी ने इसका प्रोडक्शन बंद कर दिया है.
यह वही लग्जरी विमान है, जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन (17 सितंबर 2022) पर अफ्रीकी देश नामीबिया से 8 चीते भारत लाए गए. Boeing-747 की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के राष्ट्रपति का ये पसंदीदा विमान माना जाता है. आइए जानते हैं, इस विमान की खासियत...
बोईंग 747 (Boeing-747) एक लंबा, चौड़ा और लंबी दूरी की उड़ान वाला प्लेन है. इसकी पहली उड़ान 9 फरवरी 1969 में हुई थी. इसी विमान का एक वैरिएंट बोईंग वीसी-25 अमेरिकी राष्ट्रपति का एयरफोर्स वन विमान बनता है. इस विमान को 3 लोग मिलकर उड़ाते हैं पहला कैप्टन, दूसरा फ्लाइट ऑफिसर और तीसरा फ्लाइट इंजीनियर. आमतौर पर इसमें 276 से 495 सीट्स लगाई जा सकती है. लेकिन जरुरत के हिसाब से इसे बदला भी जा सकता है.
इसी विमान के एक वैरिएंट से अंतरिक्ष स्पेस शटल को लाने-ले जाने का काम नासा (NASA) करती थी. इस विमान के अलग-अलग वैरिएंट की लंबाई 184.9 फीट से लेकर 250.2 फीट तक होती है. अलग-अलग वैरिएंट में 1.84 लाख लीटर से लेकर 2.38 लाख लीटर ईंधन आता है. यह अधिकतम 939 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ान भरता है. आमतौर पर 907 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से उड़ता है. यह विमान 9250 फीट से लेकर 10,900 फीट तक अधिकतम ऊंचाई तक उड़ सकता है.
जंबो जेट में यह भी है खास
- वॉशिंगटन में स्मिथसोनियन संस्थान में राष्ट्रीय वायु और अंतरिक्ष संग्रहालय में एयरोनॉटिक्स विभाग के क्यूरेटर बॉब वान डर लिंडेन के मुताबिक 747 विमान उड़ान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है.
- जंबो जेट के नाम से फेमस इस विमान में एक साथ 600 यात्री तक यात्रा कर सकते हैं.
- बोइंग मूल रूप से एक डबल डेकर विमान माना जाता था, लेकिन कंपनियों ने निष्कर्ष निकाला कि आपातकाल स्थिति में अगर विमान में चौड़े गलियारों की डिजाइन नहीं होती तो इस मामले में यात्रियों को खाली करना मुश्किल हो सकता है.
इस तरह नामीबिया से लाए गए थे चीते
- चीतों को लाने के लिए इस विमान को मॉडिफाई किया गया था. इसमें एक लग्जरी कंपार्टमेंट था, जिसमें अफ्रीका और भारत के चीता एक्सपर्ट्स बैठे थे. वेटरेनेरियन और फॉरेस्ट अधिकारी बैठे थे. यह एक लग्जरी कंपार्टमेंट था. जिसमें बैठने के लिए बिजनेस क्लास की सीटें लगी थीं. हर सीट के पीछे एक छोटा कैबिनेट था, जिसमें लोग अपना सामान रख सकते थे.
- लग्जरी बिजनेस क्लास सीटिंग अरेंजमेंट वाले कंपार्टमेंट के ठीक पीछे एक और स्टोरेज कंपार्टमेंट था, जिसमें चार चीतों को उनके खास तरह के क्रेट्स में रखा गया था.
- क्रेट्स को बाकायदा प्लेन के फर्श पर बने लॉकिंग सिस्टम से बांधा गया था, ताकि ये प्लेन के दाएं-बाएं ऊपर-नीचे होने पर फिसले नहीं और चीतों के मूवमेंट से भी क्रेट्स की जगह न बदले.
- पीछे की तरफ दूसरा कंपार्टमेंट था, जिसमें बाकी चार चीते अपने-अपने क्रेट्स में थे. क्रेट्स के चारों तरफ रोशनी की काफी अच्छी व्यवस्था की गई थी.