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बांग्लादेश में हिंदू युवक की लिंचिंग मामले में 10 गिरफ्तार, मोहम्मद यूनुस का भी आया बयान

बांग्लादेश में भीड़ की हिंसा से दहशत है. यहां हिंदू युवक की हत्या के मामले में पुलिस ने एक्शन लिया है और 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. बांग्लादेश में कथित ईशनिंदा के आरोप को लेकर हिंदू युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी और शव जला दिया था. इस घटना ने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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बांग्लादेश में भीड़ ने हिंदू युवक की हत्या कर दी और शव जला दिया था. (File Photo: ITG)
बांग्लादेश में भीड़ ने हिंदू युवक की हत्या कर दी और शव जला दिया था. (File Photo: ITG)

बांग्लादेश में हिंदू युवक की भीड़ द्वारा लिंचिंग के मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने बयान जारी किया है और कहा कि इस जघन्य अपराध में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा.

यह घटना गुरुवार को मयमनसिंह जिले के बलुका इलाके में हुई थी. 25 वर्षीय दीपू चंद्र दास एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करते थे. उन्हें कथित ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला. इसके बाद उनके शव को आग के हवाले कर दिया.

मोहम्मद यूनुस ने क्या बताया?

मोहम्मद यूनुस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बयान जारी किया और बताया कि गिरफ्तार किए गए 10 लोगों में से सात को रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) ने गिरफ्तार किया है, जबकि तीन आरोपियों को पुलिस ने संदिग्ध के रूप में पकड़ा है. उन्होंने कहा कि RAB और पुलिस ने विभिन्न स्थानों पर ऑपरेशन चलाकर इन लोगों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार आरोपियों की उम्र 19 से 46 वर्ष के बीच बताई गई है.

पहले फैक्ट्री के बाहर पीटा, फिर पेड़ से लटकाकर शव जलाया

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पुलिस के मुताबिक, कथित ईशनिंदा के आरोप में दीपू चंद्र दास को भीड़ ने सबसे पहले फैक्ट्री के बाहर पीटा. इसके बाद एक पेड़ से लटका दिया. भीड़ ने बाद में शव को ढाका-मयमनसिंह हाईवे के किनारे छोड़ दिया और कुछ समय बाद उसे जला दिया. पुलिस ने शव को बरामद कर मयमनसिंह मेडिकल कॉलेज भेजा, जहां पोस्टमार्टम कराया गया.

'हिंसा के लिए जगह नहीं'

अंतरिम सरकार ने शुक्रवार को इस लिंचिंग की कड़ी निंदा की और कहा कि नए बांग्लादेश में इस तरह की हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. सरकार ने अपने बयान में कहा था कि इस जघन्य अपराध के दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा.

गौरतलब है कि अगस्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से बांग्लादेश में हिंदू समुदाय समेत अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं. इन घटनाओं ने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है.

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