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अमेरिका ने किया हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल टेस्ट, चीन-रूस पर नज़र!

अमेरिका लगातार अपनी सेना के लिए भविष्य के हथियार बनाने में जुटा है. भविष्य की इन्हीं तैयारियों को देखते हुए अमेरिका ने हाइपरसोनिक मिसाइल का टेस्ट किया है.

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Pentagon ने दी है टेस्टिंग की जानकारी (फाइल फोटो)
Pentagon ने दी है टेस्टिंग की जानकारी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अमेरिका ने किया हाइपरसोनिक मिसाइल का टेस्ट
  • पेंटागन ने दी जानकारी, लंबे वक्त से थी कोशिश

अफगानिस्तान (Afghanistan) में बदलती स्थिति और रूस-चीन के साथ जारी तकरार के बीच अमेरिका (America) ने एयर-ब्रीथिंग हाइपरसोनिक हथियार की सफल टेस्टिंग की है, ये हथियार साउंड से भी पांच गुना ज्यादा की स्पीड रखता है. अमेरिका के पेंटागन के मुताबिक, साल 2013 के बाद से ही ऐसा टेस्ट करने की कोशिश थी जो अब जाकर सफल हुआ है. 

बदलती दुनिया में जब कई देश हाइपरसोनिक हथियारों के जखीरे को मजबूत करने में जुटे हैं, ऐसे वक्त में अमेरिका ने ये सफल टेस्ट किया है. इसी साल जुलाई में भी रूस (Russia) ने Zircon हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का टेस्ट किया था, जिसे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का प्रोजेक्ट कहा गया.

अमेरिका ने जो टेस्ट किया है, उसके बारे में पेंटागन ने जानकारी दी है कि हाइपरसोनिक एयर ब्रीथिंग वेपन कॉन्सेप्ट टेस्ट पिछले हफ्ते किया गया है. इस टेस्ट के साथ हम नई पीढ़ी की ओर बढ़ रहे हैं और अमेरिकी मिलिट्री की ताकत को मजबूत कर रहे हैं. अमेरिका द्वारा इस साल के अंत तक ऐसे ही और टेस्ट करने की तैयारी है. 

साउंड से भी तेज़ होती है गति

आपको बता दें कि हाइपरसोनिक हथियार एक घंटे में करीब 6200 किमी. की दूरी तय करते हैं, इनकी गति साउंड से भी पांच गुना होती है. अमेरिका का रक्षा विभाग अब पूरी तरह से हाइपरसोनिक मिसाइल, हथियारों पर फोकस कर रहा है. 

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इस मिसाइल के बारे में बताया गया है कि ये सिस्टम ऑक्सीजन वाले इलाकों में बहुत तेज़ी से काम करता है, दूसरी सामान्य मिसाइलों के मुकाबले काफी जल्दी अपने टारगेट को छूता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस क्षेत्र में चीन और रूस द्वारा पिछले कुछ वक्त में गतिविधियां बढ़ाई गई हैं, ऐसे में हर तौर पर अमेरिका इन चीज़ों पर काम कर रहा है. 

गौरतलब है कि अमेरिका ने हाल ही में अफगानिस्तान से अपनी सेना को हटाया है, लेकिन तालिबान और अलकायदा को लेकर उसपर खतरा लगातार है. साथ ही तालिबान की सरकार के साथ चीन, रूस की करीबी अमेरिका के लिए चिंता का विषय बना है. 

 

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