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'भारत-चीन से धमकी भरी भाषा में बात करना बेकार...', रूसी विदेश मंत्री लावरोव की अमेरिका को खड़ी-खड़ी

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि अमेरिका की भारत और चीन पर टैरिफ लगाने की धमकियां अब असरदार नहीं रहीं. उन्होंने बताया कि वॉशिंगटन में भी यह समझ बढ़ रही है कि दो प्राचीन सभ्यताओं से इस तरह बात करना बेकार है. लावरोव ने रूस पर लगाई जा रही नई पाबंदियों को भी बेअसर बताया.

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रूसी विदेश मंत्री ने एक इंटरव्यू में ट्रंप की टैरिफ धमकी पर प्रतिक्रिया दी है. (Photo: Reuters)
रूसी विदेश मंत्री ने एक इंटरव्यू में ट्रंप की टैरिफ धमकी पर प्रतिक्रिया दी है. (Photo: Reuters)

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने गुरुवार को रूस के मुख्य चैनल ‘चैनल 1 टीवी’ के कार्यक्रम ‘द ग्रेट गेम’ में हिस्सा लेते हुए अमेरिका की नीतियों पर सीधा हमला बोला. उन्होंने कहा कि अमेरिका बार-बार भारत और चीन को धमकी देता है कि अगर वे उसकी पसंद का काम नहीं करेंगे तो उन पर टैरिफ लगाया जाएगा, लेकिन यह तरीका काम नहीं करेगा.

लावरोव ने कहा, "दोनों ही देश प्राचीन सभ्यताएं हैं. उनसे इस तरह की भाषा में बात करना बेकार है और अब बीजिंग और वॉशिंगटन के बीच, साथ ही नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच जो बातचीत हो रही है, वह दिखाती है कि अमेरिकी पक्ष भी इसे समझ चुका है."

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भारत और चीन की प्रतिक्रिया

लावरोव ने कहा कि अमेरिका की इन धमकियों का असर भारत और चीन दोनों पर साफ दिखता है. उन्होंने बताया, “इस तरह का रवैया उन देशों की आर्थिक भलाई को कमजोर करता है. यह उन्हें मजबूर करता है कि वे नए बाजार खोजें, ऊर्जा सप्लाई के नए स्रोत ढूंढें और ज्यादा दाम चुकाएं लेकिन इससे भी ज्यादा अहम बात यह है कि इस तरीके के खिलाफ नैतिक और राजनीतिक स्तर पर विरोध खड़ा हो रहा है."

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रूस पर पाबंदियों की बात

बातचीत के दौरान लावरोव ने रूस पर लगाई जा रही नई पाबंदियों को लेकर भी अपनी राय दी. उन्होंने कहा, "सच कहूं तो, मुझे इन नई पाबंदियों से कोई समस्या नहीं दिखती. डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में रूस पर बड़ी संख्या में पाबंदियां लगाई गई थीं, जो उस समय अभूतपूर्व थीं."

रूसी विदेश मंत्री ने आगे कहा कि रूस ने उस दौर से सबक लिया है. उन्होंने कहा, "बाद में, जो बाइडेन के कार्यकाल में पाबंदियों का इस्तेमाल किसी भी कूटनीतिक प्रयास की जगह किया गया. कोई समझौता खोजने की कोशिश ही नहीं हुई."

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यह पूरी बातचीत साफ दिखाती है कि रूस, भारत और चीन मिलकर अमेरिका की दबाव वाली रणनीति को चुनौती दे रहे हैं. लावरोव के मुताबिक, अब यह साफ है कि धमकी और दबाव वाली भाषा अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सफल नहीं हो सकती.

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