विदेश मंत्री एस एम कृष्णा और उनकी अमेरिकी समकक्ष हिलेरी क्लिंटन के बीच हुई द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान अमेरिकी वीजा शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर भारत की चिंता, पाकिस्तान के साथ रिश्तों को सुधारने के लिए उठाए गए कदमों और विस्कोन्सिन के गुरुद्वारों में हुई गोलीबारी पर चर्चा की गई.
संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर सोमवार को हिलेरी के साथ 45 मिनटों की बातचीत के बाद कृष्णा ने से कहा, ‘यह सकारात्मक और रचनात्मक मुलाकात रही. इसमें कई क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की गई.’
उन्होंने कहा कि वीजा शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर हिलेरी को चिंता से अवगत कराया गया, लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव निकट है और ऐसे में इस मुद्दे पर वाशिंगटन से तत्काल आश्वासन और कार्रवाई की उम्मीद नहीं की जा सकती.
कृष्णा ने कहा, ‘अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं. अमेरिकी पक्ष से इस मुद्दे पर किसी तरह के आश्वासन की अपेक्षा करना ज्यादा उम्मीद लगाना होगा.’ अमेरिका ने वीजा शुल्क में बढ़ोतरी कर दी थी ताकि मैक्सिको के साथ सीमा को सुरक्षित रखने में खर्च में वृद्धि की जा सके.
जरदारी ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के अनुरूप जम्मू कश्मीर के लोगों के शांतिपूर्ण तरीके से अपनी तकदीर का फैसला करने के अधिकारों का समर्थन करता रहेगा. तरार ने कहा, ‘पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने न कुछ ज्यादा कहा और न कुछ कम कहा.’
193 सदस्यीय महासभा को कल संबोधित करते हुए कृष्णा ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र के मंच से जम्मू कश्मीर को लेकर अवांछित टिप्पणी की गई. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर भारत की सैद्धांतिक स्थिति दृढ़ है और भलीभांति ज्ञात है.
कृष्णा ने अपने कहा, ‘जम्मू कश्मीर की जनता ने भारत की भलीभांति स्थापित लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से बार बार अपनी तकदीर का फैसला किया है और मजबूती से इसे दोहराया है. हम पूरी तरह स्पष्ट करना चाहते हैं कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है.’
कृष्णा ने कहा कि उन्होंने जरदारी से संयुक्त राष्ट्र महासभा में उनके संबोधन में कश्मीर का जिक्र किये जाने की अपेक्षा नहीं की थी और इस पर प्रतिक्रिया देना भारत की जिम्मेदारी थी.
कृष्णा ने कहा, ‘जिस परिप्रेक्ष्य में यह बात कही गई है उसमें पढ़ें. मैंने ऐसी अपेक्षा नहीं की थी कि राष्ट्रपति जरदारी कश्मीर का संदर्भ देंगे और जब संयुक्त राष्ट्र में सर्वोच्च स्तर पर पाकिस्तान की ओर से जिक्र किया गया तो अपनी स्थिति स्पष्ट करना निश्चित तौर पर भारत की जिम्मेदारी है.’