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विश्व

पुतिन के पास 2036 तक रह सकती है रूस की कमान, जानिए कैसे किया मुमकिन

पुतिन के पास 2036 तक रह सकती है रूस की कमान, जानिए कैसे किया मुमकिन
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1999 में भारतीय राजनीति अस्थिरता के दौर से गुजर रही थी. तब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे लेकिन 13 महीने में ही उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी. अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने के दो महीने बाद ही रूस की सत्ता में व्लादिमीर पुतिन ने दस्तक दी. 1999 के बाद से भारत ने तीन प्रधानमंत्री देख लिए लेकिन पुतिन आज भी रूस के राष्ट्रपति हैं और ये सिलसिला 2036 तक जारी रह सकता है. रूस की जनता ने जनमतसंग्रह में पुतिन के 2036 तक सत्ता में बने रहने के लिए जरूरी संविधान संशोधन का समर्थन किया है.

पुतिन के पास 2036 तक रह सकती है रूस की कमान, जानिए कैसे किया मुमकिन
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रूस के केंद्रीय चुनाव आयोग के मुताबिक, बैलेट की गिनती लगभग पूरी हो चुकी है और अब तक आए नतीजों में 78 फीसदी लोगों ने संविधान संशोधन का समर्थन किया है. दूसरी तरफ, विपक्ष ने सरकार पर मतदान में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है. बता दें कि पुतिन का मौजूदा छह साल का कार्यकाल 2024 में खत्म हो रहा है. रूस के संविधान में राष्ट्रपति पद के लिए दो कार्यकाल की सीमा तय है इसलिए 2024 के बाद पुतिन को सत्ता से बाहर होना पड़ता.
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पुतिन 1999 से 2008 और 2012 से अब तक रूस के राष्ट्रपति रहे हैं. वह 1999 में और 2008-12 तक रूस के प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं. 67 वर्षीय पुतिन अगर 2036 तक रूस की सत्ता में काबिज रहते हैं तो उस वक्त उनकी उम्र 83 साल होगी.

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संविधान संशोधन को लेकर जनमतसंग्रह की तारीख पहले 22 अप्रैल तय हुई थी लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसे टालना पड़ा. पुतिन को राष्ट्रपति के दो कार्यकाल की इजाजत देने के अलावा, जनमतसंग्रह में करीब 200 अन्य संशोधन भी शामिल हैं. इसमें गारंटी पेंशन और समलैंगिक विवाह पर प्रतिबंध जैसे मुद्दे शामिल हैं. इस संशोधन से यूक्रेन पर भी पुतिन का दबदबा बढ़ेगा.

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जनवरी महीने में जब रूस के प्रधानमंत्री दिमित्री मिदेवदेव समेत पुतिन की पूरी कैबिनेट ने इस्तीफा दिया था तो उसी वक्त कयास लगने लगा था कि पुतिन कोई बड़ा उलटफेर करने वाले हैं. अब साफ हो गया है कि संविधान संशोधन की प्रक्रिया की राह को आसान करने के लिए ऐसा किया गया था.

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पुतिन सबसे पहले 1999 में पहली बार राष्ट्रपति बने थे. वे बोरिस येल्तसिन के इस्तीफा देने के बाद इस पद पर काबिज हुए थे. राजनीति में आने के पहले वे सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी में काम करते थे. रूस का संविधान राष्ट्रपति को लगातार बस दो कार्यकाल की ही इजाजत देता है. इसलिए पुतिन अपने शुरुआती दो कार्यकालों के बाद प्रधानमंत्री बन गए.
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2008 में पुतिन इस समयसीमा को पार कर चुके थे तो उन्होंने बड़ी आसानी से मेदेवदेव के साथ पदों की अदला-बदली कर ली. हालांकि, इस दौरान भी सरकार पर उनका नियंत्रण बना रहा.
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पुतिन साल 1999 से ही रूस की सत्ता में बने रहे हैं. स्टालिन के बाद पुतिन के नाम पर ही सबसे लंबे कार्यकाल का रिकॉर्ड दर्ज है. विपक्ष के नेता एलेक्सी नवलनी ने एक इंटरव्यू में कहा कि सभी बदलाव बस एक ही संदेश दे रहे हैं कि पुतिन किसी भी सूरत में सत्ता नहीं छोड़ने वाले हैं. इस नए कदम के बाद कुछ संपादकीय लेखों में यह भी कहा जा रहा है कि वे लोग कितने बेवकूफ थे जो 2024 में पुतिन की विदाई की बात कर रहे थे!
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