रूस और ब्रिटेन के बीच तनाव बढ़ता दिख रहा है. रूस ने कहा है कि काला सागर में क्रीमिया के पास उसे ब्रिटेन के रॉयल नेवी के पोत पर चेतावनी के तौर पर फायरिंग करनी पड़ी क्योंकि ब्रिटिश पोत उसके जल क्षेत्र में घुस आया था. रूस के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि ब्रिटिश पोत के उसके जल क्षेत्र में घुसने की वजह से रूस को चेतावनी के तौर पर फायरिंग करनी पड़ी और रास्ते में बम गिराने पड़े.
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हालांकि ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने रूसी पोत की तरफ से किसी फायरिंग की बात से इनकार किया है. ब्रिटेन ने कहा है कि उसका युद्धपोत यूक्रेन के जलक्षेत्र में चल रहा था. बीबीसी ने ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के हवाले से बताया, "रॉयल नेवी पोत अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार यूक्रेन के जल क्षेत्र में चल रहा है." ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि रूसी पोत काला सागर में अभ्यास कर रहे थे और ब्रिटेन ने अपनी गतिविधि की पूर्व चेतावनी दी थी. ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ब्रिटिश युद्धपोत डिफेंडर पर कोई गोला नहीं दागा गया और न ही उसके रास्ते में बममारी की गई है.
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बहरहाल, शीत युद्ध के बाद यह पहली दफा है जब रूस ने नाटो के युद्धपोत को रोकने के लिए बमबारी की है. यह घटना रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव को दर्शाती है.
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एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि जल क्षेत्र में घुसने को लेकर ब्रिटिश मिसाइल विध्वंसक 'डिफेंडर' ने बार-बार दी जाने वाले नोटिस की अनदेखी की. इसके बाद रूसी युद्धपोत को चेतावनी के तौर पर फायरिंग करनी पड़ी. रूसी रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि रूसी SU-24 बमवर्षक विमान ने भी ब्रिटिश पोत के आगे बम गिराए ताकि वो अपना रास्ता बदल दे.
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A Russian warship fired warning shots to force a British destroyer from Russia’s waters near Crimea in the Black Sea, the Russian Defense Ministry said. The ministry said the the British missile destroyer Defender had ignored a notice against intrusion. https://t.co/99nrdEYb3U
— The Associated Press (@AP) June 23, 2021
वहीं इंटरफैक्स समाचार एजेंसी ने बताया कि मॉस्को में ब्रिटिश दूतावास को रूसी रक्षा मंत्रालय में तलब किया है. जाहिर है, इस घटना से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ेगा.
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रूस ने 2014 में यूक्रेन के क्रीमियन प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया था. रूस का यह एक ऐसा कदम था जिसे दुनिया के अधिकांश देशों ने मान्यता नहीं दी थी. क्रीमिया के पास नाटो के युद्धपोतों के दौरे को रूस ने अक्सर अस्थिर करने वाला कदम करार दिया.
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नाटो के सदस्य देशों तुर्की, ग्रीस, रोमानिया और बुल्गारिया सभी की काला सागर में मौजूदगी है. लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य नाटो सहयोगियों के युद्धपोतों ने भी यूक्रेन के समर्थन में लगातार लगातार दौरे किए हैं.
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रूस और ब्रिटेन के बीच यह नया घटनाक्रम तब सामने आया है जब हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात हुई है. अमेरिका और रूस सबसे खराब दौर से गुजर रहे अपने राजनयिक संबंधों को पटरी पर लाने के लिए राजी हुए हैं. दोनों देश अपने-अपने राजनयिक अधिकारियों की एक दूसरे देश में फिर से तैनाती पर राजी हुए हैं. हालांकि इस मुलाकात में यूक्रेन का सीधे जिक्र नहीं आया लेकिन बाइडेन ने पुतिन के समक्ष मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों का सवाल उठाया था.
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कुछ ही दिन पहले जब अमेरिका ने यूक्रेन के लिए नए सैन्य सहायता पैकेज का ऐलान किया तो रूस ने आपत्ति जाहिर की थी. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने यूक्रेन के लिए 15 करोड़ डॉलर पैकेज का ऐलान किया था. इसमें काउंटर आर्टिलरी रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर इक्विपमेंट और काउंटर ड्रोन टेक्नोलॉजी मुहैया कराए जाने का ऐलान किया गया था.
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