अमेरिका-ईरान के बीच 2015 के परमाणु समझौते को बहाल करने के लिए बातचीत चल रही है. अगर बराक ओबामा के समय किए गए परमाणु समझौते को अमेरिका फिर बहाल करता है तो ईरान को तमाम आर्थिक पाबंदियों से मुक्ति मिल जाएगी. लेकिन इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि ईरान से खतरे से निपटने के लिए वह अमेरिका से भी टकरा सकते हैं. नेतन्याहू का दावा है कि ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर रोक नहीं लगाई है. लिहाजा, वह परमाणु समझौते को लेकर ईरान से अमेरिकी वार्ता का विरोध कर रहे हैं.
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बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को कहा कि वह ईरान की परमाणु क्षमता को बेअसर करने के लिए अमेरिका के साथ तनाव का जोखिम भी लेने को तैयार है. उनका कहना है कि परमाणु बम से लैस ईरान इजरायल के लिए सबसे बड़ा संभावित खतरा बना हुआ है. उन्होंने कहा कि इजरायल खुद को इससे सुरक्षित बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है. वह इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के नए प्रमुख डेविड बार्निया के लिए आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे.
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नेतन्याहू ने कहा, मुझे उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा, लेकिन अगर हमें अपने अच्छे दोस्त अमेरिका के साथ टकराव मोल लेने और अपने अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे के खात्मे में से एक को चुनना पड़े तो हम दूसरे विकल्प को ही चुनेंगे. नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल करार को रोकने की भरपूर कोशिश करेगा, भले ही अमेरिका और अन्य देश 2015 के ईरान परमाणु समझौते को बहाल करने में सफल हों.
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नेतन्याहू का यह बयान जारी वियना वार्ता के बीच आया है. ईरान और विश्व की छह शक्तियां अप्रैल से वियना में समझौता करने में जुटी हुई हैं. वार्ताकार तेहरान और वाशिंगटन के लिए क्रमश: परमाणु गतिविधि और प्रतिबंध पर उठाए जाने वाले ऐसे कदमों की तलाश करने में जुटे हैं जिससे समझौता बहाल हो सके. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने चुनावी अभियान के दौरान भी ईरान के साथ परमाणु समझौते को बहाल करने की बात कही थी. बाइडन के पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन ने बराक ओबामा के समय हुए परमाणु समझौते को एकतरफा बताते हुए रद्द कर दिया था. साथ ही ईरान पर कई आर्थिक पाबंदियां लगा दी थीं.
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अमेरिका के साथ जिस समझौते को बहाल किए जाने की चर्चा चल रही है, वह गंभीर आर्थिक प्रतिबंधों से राहत के बदले ईरानी परमाणु गतिविधियों पर रोक लगाता है. लेकिन नेतन्याहू ने इस समझौते का कड़ा विरोध करते हुए तर्क दिया कि ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के लिए अमेरिका के पास पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं हैं.
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इजरायल का यह भी कहना है कि इस समझौते में चरमपंथी गुटों के प्रति ईरान के समर्थन, पूरे क्षेत्र में उसकी सैन्य कार्रवाइयों और इज़रायल पर हमला करने में सक्षम लंबी दूरी की मिसाइलों के विकास को लेकर पर समाधान निकाला जाना चाहिए.
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फिलहाल, ईरान की दलील है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है. ईरान का कहना है कि परमाणु समझौते को बिना किसी बदलाव के बहाल किया जाना चाहिए. ईरान अपने कई परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या और ईरानी परमाणु केंद्रों पर हमले के लिए इजरायल के जिम्मेदार ठहराता रहा है.
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हमास और ईरान का हवाला क्यों दे रहे नेतन्याहूः असल में, हमास के साथ 11 दिनों तक चली लड़ाई के बाद हुए संघर्षविराम के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री के राजनीतिक भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. नेतन्याहू अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए हमास और ईरान संकट का हवाला दे रहे हैं.
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बढ़ती मुश्किलों को देख नेतन्याहू ने चेतावनी दी है कि ऐसा हुआ तो यह 'इजरायल की सुरक्षा के लिए खतरनाक' होगा. इजरायल में एक नई गठबंधन सरकार बनने की संभावना और मजबूत हुई है. इसके बाद से नेतन्याहू लगातार हमास और ईरान की दुहाई दे रहे हैं. नेतन्याहू ने यह चेतावनी दिग्गज दक्षिणपंथी नेता नेफ्टाली बेनेट के प्रस्तावित गठबंधन में शामिल होने के ऐलान के बाद दी है. बेनेट को किंगमेकर माना जा रहा है. उनकी यामिना पार्टी के गठबंधन में शामिल होने से नेतन्याहू की 12 साल से जारी सत्ता का अंत हो सकता है.
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