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विश्व

पाकिस्तान में सेना को लेकर नया बिल, इमरान की सरकार में पड़ी फूट

Pakistani parliamentary panel
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पाकिस्तान में एक संसदीय समिति की तरफ से एक बिल पास किया गया है जिसमें सेना की आलोचना करने पर 2 साल तक सलाखों के पीछे रहना पड़ सकता है. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली स्टैंडिंग कमेटी ऑन इंटीरियर ने बुधवार को एक नया आपराधिक कानून संशोधन बिल पास किया. इसके कानून बनने पर पाकिस्तानी सशस्त्र बलों की आलोचना करने पर दो साल की जेल की सजा के साथ 50 हजार रुपये तक का जुर्माना भरने का प्रावधान है. इस विवादास्पद बिल पर इमरान खान सरकार के मंत्री ही सवाल उठा रहे हैं (फाइल फोटो-रॉयटर्स)

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पाकिस्तान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने आलोचना को आपराधिक कृत्य बताने वाले इस बिल को 'आले दर्जे का हास्यास्पद विचार' करार दिया है. हालांकि, फवाद चौधरी ने अपने ट्वीट में सीधे बिल का जिक्र नहीं किया लेकिन उन्होंने एक पत्रकार के ट्वीट की प्रतिक्रिया में यह बात कही है.  (फोटो-AP)

Pakistani parliamentary panel
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मजहर अब्बास नाम के पत्रकार ने नए बिल पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, 'देश के नागरिक संसद, राजनेताओं और मीडिया की आलोचना करने के लिए स्वतंत्र थे लेकिन "बाकी सब राष्ट्रहित" है.' इसी ट्वीट को रीट्वीट करते हुए इमरान खान के मंत्री फवाद चौधरी ने लिखा, 'आलोचना को आपराधिक कृत्य बनाना बिल्कुल हास्यास्पद विचार है; सम्मान अर्जित किया जाता है, लोगों पर थोपा नहीं जा सकता.' (फोटो-ट्विटर/@fawadchaudhry)

 

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फवाद चौधरी का कहना था कि आलोचना को रोकने के लिए नए कानून पारित करने के बजाय अदालत की अवमानना संबंधित कानून को निरस्त किया जाना चाहिए था. समाचार पत्र डॉन के मुताबिक, मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने भी फवाद चौधरी के विचारों से सहमति जताई है. (फाइल फोटो-फेसबुक)

 

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बहरहाल, विपक्षी पार्टियों के कड़े विरोध के बावजूद पाकिस्तान की नेशनल असेंबली स्टैंडिंग कमेटी ऑन इंटीरियर ने इस बिल को स्वीकार कर लिया. विपक्षी दलों ने इस कानून को मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया है. (फाइल फोटो-AP)

Pakistan Army
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अस्तित्व में आने के बाद पाकिस्तान ने करीब आधे समय तक सैन्य शासन झेला है. पाकिस्तान में कई सरकारों उनका कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटा दिया गया...और यह सब शक्तिशाली सशस्त्र बलों के इशारे पर होता रहा है. (फाइल फोटो-रॉयटर्स)

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नए कानून का मकसद पाकिस्तान के पीनल कोड (पीपीसी) में बदलाव करने के लिए पेश किया गया है. इस बिल को इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अमजद अली खान ने पेश किया जिसे कमेटी ने मंजूरी दे दी है. स्थायी समिति के अध्यक्ष राजा खुर्रम शहजाद नवाज ने प्रस्तावित बिल के पक्ष में मतदान करके 5-5 वोटों से बराबर हां-ना के बीच फंसे बिल को हरी झंडी दिखा दी. (फाइल फोटो)

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यह भी दिलचस्प है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की तरफ से बिल का विरोध किए जाने के बाद से 11 सदस्यीय कमेटी के बीच भी इसे लेकर मतभेद पैदा हो गया है. (फोटो-रॉयटर्स)

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पीएमएल-एन की मरियम औरंगजेब और चौधरी नदीम अब्बास रेबैरा के साथ-साथ पीपीपी के सैयद आगा रफीउल्लाह ने कहा कि संशोधन का इस्तेमाल देश में बोलने की आजादी पर अंकुश लगाने के लिए किया जाएगा. (फाइल फोटो-@Raheelaatif2)

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कानून में क्या प्रावधान है?

मसौदे के मुताबिक, आपराधिक कानून संशोधन बिल के तहत पाकिस्तान के सशस्त्र बलों और उनके किसी जवान के खिलाफ जानबूझकर मजाक, अपमान और मानहानि नहीं किया जा सकता है. ऐसा काम करने वालों को पाकिस्तान के पीनल कोड की धारा 500A के तहत दो साल की जेल, 50 हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों सजा दी जा सकती है. पाकिस्तानी सशस्त्र बलों की आलोचना करने वालों को सिविल और मिलिट्री कोर्ट मेंमुकदमे का सामना करना होगा. (फाइल फोटो-रॉयटर्स)

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हालांकि, इस बिल के कानून बनने के लिए इसे अभी भी नेशनल असेंबली (NA) और सीनेट, संसद के निचले और ऊपरी सदनों द्वारा अलग-अलग पारित होने की बाधा का सामना करना पड़ेगा. जबकि सरकार को नेशनल असेंबली में बहुमत हासिल है वहीं विपक्ष सीनेट में मजबूत है. अक्सर देखा गया है कि विपक्षी पार्टियों ने जिन प्रस्तावों का कमेटी में ही विरोध कर दिया वो सीनेट में पारित नहीं हो पाते हैं. (फाइल फोटो)
 

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